V-Dem Institute Report: भारत ‘इलेक्टोरल डेमोक्रेसी’ से ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ बना, पाकिस्तान जैसे हुए हालात
पीएम नरेंद्र मोदी (Photo Credits: PIB/File)

स्वीडन (Sweden) स्थित वी-डेम इंस्टीट्यूट (V-Dem Institute) की ताजा रिपोर्ट में भारत को ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ (Electoral Autocracy) की श्रेणी में रखा गया है. इस रिपोर्ट में भारत को हंगरी और तुर्की के साथ "लोकतंत्र के कई पहलुओं पर प्रतिबंध" लगाने के आरोप में ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ में वर्गीकृत किया गया है. इसमें दावा किया गया है कि भारत में नागरिक समाज समूहों और स्वतंत्र भाषण में बाधा आ रही है. इस रिपोर्ट में सत्तारूढ़ बीजेपी को भी लोकतंत्र (Democracy) के पैमाने पर सही नहीं ठहराया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद देश में नागरिक समाज समूहों और स्वतंत्र भाषण पर प्रतिबंध सा लग गया है. Freedom Report 2021: US थिंक टैंक ने घटाई भारत की फ्रीडम रैंकिंग, नागिरिकों की आजादी पर उठाए सवाल, मगर कश्मीर को लेकर कर दी ये बड़ी गलती

वी-डेम  (Varieties of Democracy) इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.37 बिलियन नागरिकों वाला दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ में बदल गया है. भारत को पहले ‘इलेक्टोरल डेमोक्रेसी’ (Electoral Democracy) की श्रेणी में रखा गया था. सेंसरशिप के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अब उतना ही ‘इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी’ है जितना कि पाकिस्तान और वो भी उसके पड़ोसी बांग्लादेश और नेपाल दोनों से भी बदतर हालत में है. इसमें यह भी कहा गया है कि बीजेपी के सत्ता में आने और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद सरकार आलोचकों को कानून की मदद से मौन कर रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है "सामान्य तौर पर भारत में पीएम मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने आलोचकों पर राजद्रोह, मानहानि और आतंकवाद विरोधी कानून का इस्तेमाल किया है. बीजेपी के सत्ता संभालने के बाद 7,000 से अधिक लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है. इसमें से अधिकांश आरोपी सत्तारूढ़ पार्टी के आलोचक हैं." जिस वजह से भारत लिबरल डेमोक्रेसी इंडेक्स (एलडीआई) पैमाने पर नीचे आया है.

उल्लेखनीय है कि वी-डेम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है जब कुछ दिन पहले ही अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडम हाउस (Freedom House) ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत सरकार पर सवाल खड़े किये थे. हालांकि केंद्र सरकार ने फ्रीडम हाउस की 'डेमोक्रेसी अंडर सीज' नामक शीर्षक की रिपोर्ट को खारिज किया है. केंद्र ने कहा है कि एक स्वतंत्र देश के रूप में भारत का दर्जा घटाकर आंशिक रूप से स्वतंत्र का दावा गलत और अनुचित है. केंद्र में मौजूदा राजनीतिक दल से इतर दूसरे राज्यों में अन्य दलों की संघीय ढांचे के तहत निर्वाचित सरकारें हैं. ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हुए थे, जिन्हें एक स्वतंत्र संस्था द्वारा कराया गया था. इससे भारत में एक जीवंत लोकतंत्र की उपस्थिति का पता चलता है.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने रिपोर्ट के कई बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए दावों को गलत ठहराया है. रिपोर्ट में भारत में मुसलमानों और उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीति बनाने का दावा किया है. इस पर केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत सरकार अपने सभी नागरिकों के साथ समानता का व्यवहार करती है, जैसा देश के संविधान में निहित है और बिना किसी भेदभाव के सभी कानून लागू हैं.

जनवरी 2019 में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बाद मशीनरी ने निष्पक्ष और उचित तरीके से कार्य किया। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में देशद्रोह कानून, लॉकडाउन, मानवाधिकार, पत्रकारों की स्वतंत्रता आदि से जुड़े किए गए दावों को गलत ठहराया है. (एजेंसी इनपुट के साथ)