Uttar Pradesh: DNA टेस्ट ने दिलाई जेल में कैद दुष्कर्म के आरोपी को मुक्ति
जेल/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश), 2 अप्रैल: जेल में पिछले 26 महीने से कैद एक शख्स पर दुष्कर्म (Misdeed) का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया था और इसका खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता के बच्चे का डीएनए टेस्ट (DNA Test) किया गया. नतीजे में सामने आया कि जेल में बंद शख्स बच्चे का पिता है ही नहीं. अमित नाम का यह शख्स फरीदाबाद में काम करता था. साल 2018 के जुलाई में अपने बड़े भाई की शादी में शामिल होने के लिए वह गांव आया हुआ था. इसके सात महीने बाद साल 2019 के फरवरी में पुलिस ने उसे तलब किया और एक लड़की संग दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया. अमित की मां और उसकी भाभी को पहले ही हिरासत में ले लिया गया था. अमित वहां गया, तो उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया.

अमित के पिता सज्जन सिंह (Sajjan Singh) ने पत्रकारों को बताया कि जमीन के एक टुकड़े को लेकर पीड़िता के पिता संग उनकी कुछ कहासुनी हुई थी और इसी के चलते यह मामला सेट किया गया था. अमित पर दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए, जबकि उनके बड़े भाई चंद्र शेखर पर जान-बूझकर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया. अपने छोटे भाई सुनील और एक दूर के रिश्तेदार तीक्ष्ण पाल के साथ चंद्र शेखर पर बारला पुलिस स्टेशन में आपराधिक धमकी और घर में जबरन घुसने का भी मामला दर्ज किया गया था. यह भी पढ़ें: Uttar Pradesh: कोविड मामलों की गंभीरता को देखते हुए गवर्मेंट और प्राइवेट स्कूल 8 दिनों तक रहेंगे बंद

चंद्रशेखर को जमानत मिल गई और सुनील और तीक्ष्ण का भी बाद में चार्जशीट से हटा दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं थे. अमित अलीगढ़ जिला जेल में बंद रहा. अमित के वकील हरिओम वाष्र्णेय ने कहा कि उन्होंने अदालत के समक्ष पीड़िता के बच्चे का डीएनए परीक्षण कराने का अनुरोध किया, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या अमित ने उसके साथ वाकई में दुष्कर्म किया है, जिसके चलते लड़की प्रेग्नेंट हुई है. बीते साल मार्च में अमित और बच्चे दोनों के नमूने लिए गए थे. पिछले महीने सामने आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि अमित बच्चे का पिता नहीं है. अमित के वकील ने कहा है कि उनका अगला कदम अपने मुवक्किल को उन सभी आरोपों से मुक्त करने के लिए आवेदन करना होगा, जिसके चलते उन्हें हिरासत में लिया गया था.