नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेमिसाल कूटनीति की बदौलत अमेरिका भी झुकने के लिए मजबूर हो गया है. दरअसल भारत के दबाव में आकर अमेरिका ने घुटने टेक दिए हैं. अमेरिका ने सोमवार से ईरान पर प्रतिबंध लागू होने के बावजूद भारत को कच्चे तेल का आयात करने की छूट दे दी है. वहीं अब ईरान में बन रहे भारत के लिए रणनीतिक महत्व वाले चाबहार पोर्ट के विकास के लिए भी अमेरिका मान गया है. जिसके तहत अमेरिका ने कुछ खास प्रतिबंधों से छूट दे दी है.
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, 'बेहद सोच-विचार के बाद विदेश मंत्री ने चाबहार पोर्ट के विकास, अफगानिस्तान में इस्तेमाल आनेवाले गैर-प्रतिबंधात्मक वस्तुओं की ढुलाई के लिए संबंधित रेलवे लाइन के निर्माण के साथ-साथ ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के आयात से ईरान फ्रीडम ऐंड काउंटर-प्रोलिफरेशन ऐक्ट, 2012 के तहत भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दे दी है.'
भारत और अफगानिस्तान ने मई 2016 में तीनों देशों में ट्रांजिट एवं ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर स्थापित करने को लेकर एक समझौते पर दस्तखत किया था. इसके तहत चाबहार पोर्ट को ईरान में समुद्री परिवहन के एक रीजनल हब के तौर पर विकसित किया जाना है. साथ ही, तीनों देशों में वस्तुओं एवं यात्रियों की आवाजाही के लिए परिवहन के विभिन्न साधनों को विकसित किए जाने का भी समझौता हुआ है.
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अमेरिका ने भारत सहित कई देशों को धमकी दी थी कि ईरान से कच्चे तेल का आयात नवंबर तक बंद करें नहीं तो वह आर्थिक प्रतिबंध लगा देगा. हालांकि भारत ने ऐसा करने से साफ़ मना कर दिया था. लेकिन भारत की ओर से कोई प्रतिकूल सहयोग नहीं मिलने के कारण अमेरिका को अपना फैसला बदलना पड़ा.
अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और कथित तौर पर आतंकवाद को समर्थन देने के खिलाफ उस पर प्रतिबंध लगाया है. प्रतिबंध के तहत अमेरिका उन देशों और विदेशी कंपनियों को दंडित करेगा जो ईरान से तेल आयात और ब्लैक लिस्ट में डाली गई ईरान की कंपनियों के साथ व्यापार करेगा. जानकारों की मानें तो अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद ईरान से दूसरे देशों को होने वाली तेल सप्लाई में हर रोज 10 से 15 लाख बैरल की कमी आ सकती है.