UP Elections 2022: अखिलेश यादव परिवार में सेंध लगाकर मतदाताओं को पुराने दिनों की याद दिलाना चाहती है भाजपा
भारतीय जनता पार्टी (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 23 जनवरी : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव अपने चरम पर पहुंचता जा रहा है. यह चुनाव वैसे तो 2022 में हो रहा है लेकिन भाजपा इस चुनाव में भी 2016-2017 के माहौल को दोहराना चाहती है. भाजपा प्रदेश के मतदाताओं खासकर समाजवादी पार्टी के समर्थकों को पुराने दिनों की याद दिलाने के लिए लगातार मुलायम सिंह यादव के परिवार में सेंध लगा रही है.

दरअसल , भाजपा एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि अखिलेश यादव अपने परिवार तक को नहीं संभाल पा रहे हैं. भाजपा जहां एक तरफ ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया साइट्स पर मुलायम सिंह यादव , शिवपाल सिंह यादव, अपर्णा यादव और प्रमोद गुप्ता की तस्वीरों को शेयर करते हुए यह लिख रही है कि जो पिता , चाचा, घर की बहू और अपने रिश्तेदार का नहीं हुआ वो यूपी का क्या होगा ?

दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत भाजपा के दिग्गज नेता सार्वजनिक मंचों से भी यह सवाल उठाकर मतदाताओं को भावनात्मक संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होते समय ही सपा अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहा था कि अखिलेश मुख्यमंत्री और सांसद के साथ-साथ परिवार में भी असफल साबित हुए हैं. मौर्य का यह बयान भाजपा कार्यकतार्ओं और नेताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश भी था.

अपर्णा यादव के जनाधार और भाजपा की रणनीति के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए भाजपा के एक दिग्गज नेता ने आईएएनएस से कहा कि मुलायम सिंह यादव की बहू का भाजपा में शामिल होना ही अपने आप में महत्वपूर्ण है . उन्होने इसे पार्टी की वैचारिक जीत बताते हुए दावा किया कि यह अपने आप में उत्तर प्रदेश की जनता को बड़ा संदेश देता है और जहां तक पार्टी की रणनीति की बात है , हम तो जनता को सिर्फ सच बता रहे हैं.

आईएएनएस से बात करते हुए भाजपा नेता ने कहा कि अखिलेश यादव ने जिस तरह का व्यवहार अपने पिता और चाचा के साथ किया, वो तो सब जानते हैं तो यह सच याद दिलाने में हर्ज क्या है ?

आपको याद दिला दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उस समय मुलायम सिंह यादव ने भी कई मौकों पर अपने ही बेटे पर निशाना साधा था और इस तरह के कई वीडियो तेजी से वायरल हुए और अखिलेश यादव पर अपने पिता को धोखा देने तक के आरोप लगे. भाजपा ने भी इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाते हुए हर मंच से अखिलेश यादव की क्षमता और व्यवहार को लेकर निशाना साधा और लगातार यह साबित करने की कोशिश की कि जो व्यक्ति अपने पिता या चाचा का नहीं हो पाया वो प्रदेश की जनता का क्या होगा. यह माना जाता है कि इस मुद्दे ने भावनात्मक रूप से मतदाताओं को प्रभावित जरूर किया होगा. यह भी पढ़ें : UP Election 2022: बसपा के प्रचारकों की सूची में मायावती और उनके भाई समेत 18 नेताओं के नाम शामिल

भाजपा 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ठीक उसी तरह का माहौल प्रदेश में बना ने की कोशिश कर रही है. सबसे पहले 12 जनवरी को मुलायम सिंह यादव के समधी हरिओम यादव को दिल्ली में भाजपा शामिल कराया गया. इसके ठीक एक सप्ताह बाद 19 जनवरी को मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को भव्य स्वागत के साथ दिल्ली में भाजपा में शामिल कराया गया. इसके एक दिन बाद 20 जनवरी को मुलायम सिंह यादव के साढ़ू और शिवपाल सिंह यादव के करीबी पूर्व विधायक प्रमोद गुप्ता ने लखनऊ में भाजपा का दामन थाम लिया.

अपर्णा यादव को भाजपा में शामिल कराते समय प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उनका परिचय देने से पहले प्रमुखता से इसका जिक्र किया कि वो मुलायम सिंह यादव की बहू है. वहीं प्रमोद गुप्ता ने अखिलेश यादव पर नेताजी मुलायम सिंह यादव को बंधक बनाने तक का आरोप लगा डाला. साफ जाहिर है कि जैसे-जैसे चुनावी तापमान अपने चरम पर पहुंचेगा वैसे-वैसे भाजपा भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाकर अखिलेश यादव को घेरने की कोशिश करती नजर आएगी .