केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा- कोरोना वायरस की लड़ाई में अभी 20-22 दिन और लगने हैं

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में नए वालंटियर्स की जरूरत बताई है. उन्होंने युवाओं से स्वयंसेवक बनकर लड़ाई से जुड़ने की अपील की है. उन्होंने बताया कि कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में अभी 20 से 22 दिन और लगने हैं.

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Photo Credits-ANI Twitter)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में नए वालंटियर्स की जरूरत बताई है. उन्होंने युवाओं से स्वयंसेवक बनकर लड़ाई से जुड़ने की अपील की है. उन्होंने बताया कि कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में अभी 20 से 22 दिन और लगने हैं.  कई राज्यों ने भी अपने यहां 15-15 दिन की मियाद बढ़ा दी है. लिहाजा नए वालंटियर्स को इस मुहिम से जुड़ना चाहिए। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एबीवीपी पुणे के फेसबुक पेज से लाइव होकर कहा, गैर सरकारी संस्थाएं कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काम कर रहीं हैं.  अभी मैं देख रहा हूं कि पहली बैच थक गई है। कुछ राज्यों ने 15 दिन बढ़ा दिया है.

इस प्रकार आगे 20 से 22 दिन की और व्यवस्था करनी है.  एक वालंटियर्स के तौर इन संस्थाओं में आपको जाकर अच्छा काम करना चाहिए. जावड़ेकर ने विद्यार्थी परिषद से जुड़े युवाओं और छात्रों से खासतौर से अपील करते हुए कहा कि तमाम स्वयंसेवी संस्थाएं, जो भोजन, मरीजों उनके परिवार के साथ डॉक्टर, नर्स, पुलिस, बैंककर्मी आदि अतिआवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों के लिए काम कर रही हैं, उनसे जुड़कर वालंटियर्स के रूप में काम करना चाहिए। जावड़ेकर ने इस दौरान 50 साल पुराने छात्र आंदोलनों से अपने जुड़ाव को भी याद किया. मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सब घर से काम कर रहे हैं। हर कोई अधिकारी हो या, अपने-अपने घरों में है। ऐसे में एबीवीपी ने छात्रों और लोगों तक पहुंचने का रास्ता खोला है. यह भी पढ़े: महाराष्ट्र में कोरोना वायरस संक्रमण के 210 नये मामले, संक्रमितों की संख्या 1,574 हुई

वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि आज कोरोना के साथ लड़ाई में मनुष्य के पास न वैक्सीनेशन है न ही इसके लिए कोई ठोस उपाय है. अभी तक जो ज्ञान मिला है, उसी के हिसाब से दुनिया चल रही है. प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पहले भी बीमारी इस तरह से यूरोप सहित दुनिया के देशों में आती थी और लाखों लोग मरते थे.  लेकिन आधुनिक इतिहास मे ऐसा नहीं हुआ. भूकंप होता है तो हजारों मरते हैं। सूनामी ने अनेक देशों को प्रभावित किया। पहले अकाल में भी लाखों लोग मरते थे.  लेकिन धीरे-धीरे आदमी ने इन घटनाओं का विश्लेषण कर कुछ उपाय किए, जिससे अब जनहानि उतनी नहीं होती.

जावड़ेकर ने कहा, कोरोना ऐसा संकट है, जिसका अभी अता-पता अभी नहीं है.  दिसंबर में यह शब्द सुना गया और चीन से इसकी शुरूआत हुई. इटली, स्पेन में विस्तार होता गया और ब्रिटेन, फ्रांस इन देशों में होता हुआ संकट हमारे सामने आया. दो सप्ताह में विश्व में यह संकट बढ़ा है. दो सप्ताह पहले छह लाख केस थे, आज 16 लाख हो गए थे. तीस हजार मृत्यु थी अब एक लाख हो गई। दो सप्ताह में इस बीमारी का प्रकोप तेजी से फैला है.

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