नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi ) के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने यह सभीत कर दिया है कि हिम्मत और हौसले के साथ कोविड-19 के खिलाफ जंग जीती जा सकती है. यहीं वजह है कि कभी दिल्ली में रिकॉर्ड कोरोना के मामले सामने आने के बावजूद स्थिति बेकाबू नहीं हुई. वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में 22,720 के संक्रिय मरीज है. दिल्ली में कोरोना से जंग जीतने वाले मरीजों की कुल संख्या 90 फीसदी के पार पहुंच गई है. जबकि दिल्ली में कोरोना के नये केस की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वहीं दिल्लीवासियों में भी केजरीवाल सरकार के प्रति सदा विश्वास दिखाया और पूरा सहयोग दिया. COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में दिल्ली मॉडल का अनुकरण करें सभी राज्य: केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस संकट की घड़ी में कुशल नेतृत्व का प्रदर्शन करते हुए पहले ही दिन से ताबड़तोड़ फैसले लिए है. फरवरी महीने के खत्म होने से पहले ही कोरोना वायरस की रोकथाम व उपचार के लिए दिल्ली सरकार निजी अस्पतालों के साथ मिलकर अस्पतालों में खास वार्ड तैयार करने के काम में जुट गयी. 3 मार्च को केजरीवाल ने एक अहम बैठक की थी. जिसमें दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंद्र जैन, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
संक्रमण पर सीधा हमला
कोविड-19 के प्रसार को रोकने के सीएम अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में दिल्ली सरकार ने जमीनी स्तर पर काम शुरू किया. दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में 230 खास बेड तैयार किए जाने लगे. घातक वायरस के उपचार की जिम्मेदारी 19 सरकारी और छह निजी अस्पतालों को सौंपी गई. जबकि दिल्ली सरकार ने 12 विभिन्न केंद्रों पर कोरोना वायरस के संदिग्ध रोगियों के मेडिकल टेस्ट की व्यवस्था भी की. सावधानी बरतते हुए राज्य सरकार ने तीन लाख 50 हजार एन-95 मास्क, संदिग्धों की जांच कर रहे चिकित्सकों व अन्य स्टाफ के लिए आठ हजार सेपेरेशन किट भी खरीद लिए. वायरस की जांच के लिए दिल्ली में दो लैब बनाये गए, जहां प्रतिदिन 250 नमूनों की जांच की जा रही थी. एयरपोर्ट पर आने वाले प्रत्येक यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई. केजरीवाल सरकार ने यह कदम तब उठाया जब पूर्वी दिल्ली में इटली से लौटा एक व्यक्ति कोरोना वायरस से ग्रस्त पाया गया था.
लग्जरी होटलों को बनाया कोविड केयर सेंटर
देश में महामारी की शुरुआत होने के साथ ही दिल्ली सरकार ने तीन ऐसे होटलों का चयन किया है, जहां कोरोना वायरस के संभावित संक्रमित लोगों को 14 दिनों के लिए आइसोलेशन में रखा जा सकता है. दिल्ली के तीनों नगर निगम और एनडीएमसी के अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित होटलों में जाकर कोरोना वायरस के संक्रमण की जांच का जिम्मा सौंपा गया. इन होटलों में ऐसे लोगों से संपर्क किया जा रहा है, जो हाल ही में उन देशों से लौटे हैं, जहां कोरोना वायरस फैल चुका है. विदेशों से आए और दिल्ली के होटलों में ठहरे इन सभी लोगों की स्क्रीनिंग व जांच करवाई गयी.
राज्यस्तरीय टास्क फोर्स गठित
कोविड-19 के संक्रमण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने एक राज्यस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है. इस टास्क फोर्स की अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की है. मुख्यमंत्री के अलावा इस टास्क फोर्स ने तीनों नगर निगमों, एनडीएमसी, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों को शामिल किया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 4 मार्च को इस टास्क फोर्स की पहली बैठक की. संक्रमण के खतरे को देखते हुए दिल्ली के सभी प्राथमिक विद्यालयों को 31 मार्च तक बंद रखने का फैसला लिया.
डेंगू की तरह कोरोना को हराने का लिया संकल्प
कोरोना वायरस के खतरे के देखते हुए केजरीवाल सरकार ने लोगों से जरूरी न होने पर भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचने की अपील की. दिल्ली के लोगों में कोरोना वायरस के प्रति सजगता फैलाने के प्रति व भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों को नजरअंदाज करने के मकसद से भी मुख्यमंत्री ने होली नहीं मनाई. 4 मार्च को मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस को लेकर कहा "इस वायरस को रोकने के लिए हमें बहुत तेजी दिखानी होगी, क्योंकि इसका संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए सभी एजेंसियों को मिलकर इसे तुरंत ही रोकना होगा. जिस तरह से हमने दिल्ली में डेंगू को हराया था, उसी तरह से हम इस खतरनाक बीमारी को भी हराएंगे."
कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12 मार्च को कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया. इसको फैलने से रोकने के लिए दिल्ली के सभी निजी एवं सरकारी स्कूलों को 31 मार्च तक के लिए बंद कर दिया गया है. इसी तरह विभिन्न कॉलेज एवं उच्च शिक्षण संस्थानों को भी 31 मार्च तक के लिए बंद रखा गया है. सरकार ने सिनेमाघरों, जिम, स्वीमिंग पुल, नाइट क्लब समेत उन तमाम केंद्रों को 31 मार्च तक बंद रखने का आदेश दिया है, जहां एक साथ बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं. यह फैसला छात्रों को वायरस के संक्रमण से बचाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर लिया गया. जबकि सार्वजनिक दफ्तरों और वाहनों को भी विसंक्रमित करना अनिवार्य कर दिया गया. दरअसल, भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने व संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से कोरोना वायरस बहुत तेजी से अन्य व्यक्तियों के शरीर में प्रवेश कर जाता है. जबकि जानलेवा वायरस के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों, अधेड़ उम्र के लोगों व बुजुर्ग व्यक्तियों में है. इसके अलावा जिन लोगों को हृदयरोग, मधुमेह और फेफड़ों से संबंधित शिकायत है, उन्हें भी संक्रमण का खतरा अधिक है.
सार्वजनिक स्थानों पर हाथ धोने की व्यवस्था
दिल्ली में 16 मार्च तक कोविड-19 के 7 मामले आ चुके थे, जिसमें 2 ठीक हो चुके थे और 1 मरीज की मौत हो गई. दिल्ली सरकार ने दिल्ली के सभी डीएम और एसडीएम को सार्वजनिक स्थलों पर साबुन से हाथ धोने की यह व्यवस्था तुरंत प्रभाव से लागू करने का आदेश दिया. यह निर्देश उन स्थानों के लिए था, जहां से बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना होता है. मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा जारी आदेश में कहा गया "दिल्ली के सभी डीएम, एसडीएम और तीनों नगर निगमों के आयुक्त सार्वजनिक स्थानों पर ऑटोमेटिक साबुन डिस्पेंसर और पोर्टेबल वॉश बेसिन की व्यवस्था करें."
लॉकडाउन में हर जरूरत का रखा ध्यान
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है, ऐसे में आवश्यक चीजों को लेकर लोगों में होड़ मच गई. हालांकि दिल्ली सरकार ने इस दौरान नागरिकों की हर जरूरत का ध्यान रखा. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी आवश्यक चीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया और जमाखोरी को रोकने के लिए भी अहम फैसले लिए. इसके तहत मार्च महीने के अंत तक लगभग 1000 राशन की दुकानों पर राशन पहुंचाया गया. जबकि मूलभूत जरूरतों को पूरा करना सरकार की जिम्मेदारी बताते हुए सीएम ने कहा की जरूरत पड़ने पर दूध, सब्जी, खाने की चीजें, दवाई जरूरी चीजें लोगों के घरों तक पहुंचाई जाएंगी. प्रशासन ने दूध, दवाई, सब्जी बेचने वाले, मॉस्क और सैनिटाइजर बनाने वाले जैसे लोगों को तुरंत ई-पास मुहैया कराया. जबकि दिल्ली सरकार ने अपने सभी 400 मोहल्ला क्लीनिक को खोले रखने का फैसला किया, जिससे लोगों की स्वास्थ्य जांच व उपचार में बाधा ना पहुंचे.
8 लाख गरीबों को दिए 5000 रुपये
दिल्ली में रहने वाले आठ लाख बुजुर्ग और निसहाय लोगों को पांच-पांच हजार रुपये बतौर पेंशन उनके खाते में डाले गए. लॉकडाउन के कारण दिल्ली सरकार ने मार्च महीने में सभी आश्रितों को पेंशन की राशि बढ़ा कर दी. इसके तहत 8 लाख लोगों के खाते में 5000 रुपये जमा करवाए गए. इसमें पांच लाख गरीब बुजुर्ग, एक लाख विकलांग और दो लाख बेसहारा एवं विधवा महिला शामिल है.
6.5 लाख लोगों के भोजन का बंदोबस्त
लॉकडाउन ने गरीबों और बेघरों को सबसे अधिक प्रभावित किया. जिन लोगों के पास पैसा और आश्रय नहीं है, उन्हें सहायता देने के लिए दिल्ली सरकार ने घोषणा की कि वह उन्हें दोपहर और रात का भोजन उपलब्ध कराएगी. इसके तहत दिल्ली में लगभग 6.5 लाख लोगों के लिए लॉकडाउन के दौरान दो समय का मुफ्त भोजन की व्यवस्था की गई. दिल्ली सरकार ने लगभग 1,592 केंद्रों से 6,48,469 लोगों को दोपहर का भोजन और 6,50,667 लोगों को रात का भोजन दिया. इसके अलावा सभी जरुरतमंदो तक खाना पहुँचाने के लिए मोबाइल बैन तैनात किए गए.
एक करोड़ लोगों को मुफ्त राशन
कोरोना संकट को देखते हुए दिल्ली में एक करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया गया. यह संख्या दिल्ली की कुल आबादी का लगभग 50 प्रतिशत है. दिल्ली में रहने वाले गरीब लोगों को राशन के अलावा दिल्ली सरकार ने एक बेसिक किट दी जिसमें मुफ्त राशन के अलावा खाने का तेल, छोले, चीनी, नमक, मसाले, साबुन आदि जरूरी वस्तुएं थी. इस योजना के तहत सभी सातों सांसदों और 70 विधायकों को हर महीने मुफ्त राशन के दो-दो हजार कूपन दिए. सांसद, विधायक इन मुफ्त राशन के कूपन को अपने-अपने क्षेत्रों में जरूरतमंद लोगों को बांट सकेंगे.
बिना राशन कार्ड वालों को दिया 5 किलो राशन
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में उन लोगों को भी पांच किलोग्राम मुफ्त राशन दिया, जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 4 अप्रैल को बताया कि दिल्ली में 71 लाख राशन कार्ड धारकों को 7 किलो 500 ग्राम राशन फ्री मुहैया कराया गया है. सरकार अब ऐसे लोगों को भी राशन मुहैया कराएगी, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है. ऐसे लोगों के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए एक छोटा सा फॉर्म बनाया गया. दिल्ली में 71 लाख राशन कार्डधारकों को प्रति माह साढ़े सात किलो किलो राशन उपलब्ध कराया जा रहा है.
कोरोना से लड़ने के लिए 5-टी योजना
अप्रैल के पहले हफ्ते में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने 5-टी योजना तैयार की, जो आगे चलकर बेहद कारगर साबित हुई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका ऐलान करते हुए बताया 5-टी में पहला टी टेस्टिंग, दूसरा ट्रेसिंग, तीसरा ट्रीटमेंट, चौथा टीम वर्क और पांचवा ट्रैकिंग व मॉनीटरिंग होगा. तब तक इन कदमों के साथ दिल्ली सरकार 30,000 से अधिक सक्रिय मामलों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हो चुकी थी. दिल्ली में 7 अप्रैल तक 525 पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए. जबकि कोविड-19 मरीजों के लिए कुल 3,000 बिस्तर तैयार किये गए थे.
एक लाख लोगों के लिए रैपिड टेस्टिंग का आर्डर
संक्रमण को रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने अप्रैल महीने में 42,000 रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट खरीदी, जिसे शहर के विभिन्न कंटेनमेंट जोनों में प्रयोग में लाया गया. इसका प्रयोग उनलोगों पर किया जाएगा, जिनमें कभी थोड़े से भी कोरानावायरस के कुछ लक्षण थे. यह पॉजिटिव आने के बाद मरीज का आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाया गया. सात अप्रैल को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा कर कहा था कि सरकार ने एक लाख लोगों के लिए रैपिड टेस्टिंग का आर्डर दिया है. इसके साथ ही दिल्ली में मुख्यमंत्री सैनिटाइजेशन स्कीम के अंतर्गत राजधानी के हॉट-स्पॉट और हाई रिस्क जोन को सेनेटाइज किया गया. दिल्ली में 1 मई तक प्रति 10 लाख की आबादी पर करीब 2300 टेस्ट हो रहे थे. फिलहाल दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 60,000 कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं
सब्जी और फल मंडियों में हेल्थ स्क्रीनिंग की व्यवस्था
घातक वायरस को मंडियों में फैलता देख सरकार अतिरिक्त सतर्कता बरतने लगी. इसके तहत दिल्ली की सब्जी और फल मंडियों में हेल्थ स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गयी. मंडियों में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिदिन स्क्रीनिंग की गई. इसमें फल, सब्जी खरीदने वाले ग्राहक और दुकानदार दोनों ही शामिल हैं. कई सब्जी मंडी में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सैनिटाइज करने के लिए सैनिटाइजेशन टनल बनाया गया. भीड़ को कम करने व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए मंडी को 24 घंटे खोले रखने का इंतजाम किया गया.
प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेनों का बंदोबस्त
केजरीवाल सरकार ने श्रमिकों के लिए यातायात की व्यवस्था की, जो दिल्ली से अपने-अपने मूल स्थान जाना चाहते थे. केजरीवाल सरकार के मुताबिक 17 मई तक ऐसे करीब 50 हजार श्रमिकों की व्यवस्था करवाई जा चुकी है. श्रमिकों की स्थिति पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तब कहा था कि दिल्ली में रह रहे प्रवासी मजदूरों की जिम्मेदारी हमारी है. अगर वो दिल्ली में रहना चाहते हैं तो उनका पूरा ख्याल रखेंगे और अगर वो अपने गांव लौटना चाहते हैं तो उनके लिए ट्रेन का इंतजाम कर रहे हैं. किसी भी हालत में उन्हें बेसहारा नहीं छोड़ेंगे.
ऑक्सीमीटर को बनाया हथियार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में कोरोना के खिलाफ दिल्ली में लड़ी गई जंग के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि कोरोना से होने वाली मौतों को रोकने का सबसे बेहतरी तरीका है कि आपको अपने 'होम आइसोलेशन' प्रक्रिया और ऑक्सीमीटर प्रणाली को मजबूत करना होगा. उन्होंने दावा किया कि कोरोना से होने वाली मौतों को तेजी से कम करने के लिए मरीजों तक ऑक्सीमीटर पहुंचाना आवश्यक है. ज्ञात हो कि दिल्ली में होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को दिल्ली सरकार पल्स ऑक्सीमीटर मुहैया कराती है जिससे वह घर पर ही ऑक्सीजन की मात्रा चेक कर सकते और जरुरत पड़ने पर ऑक्सीजन सिलेंडर घर मंगा लें या फिर एडमिट हो जाएं.
कोरोना योद्धाओं का रखा ख्याल
दिल्ली सरकार ने संकटमोचक बने सभी कोरोना योद्धाओं का पूरा ख्याल रखा है. उन्हें संक्रमित होने पर इलाज से सभी सहूलियतें दी. साथ ही दुर्भाग्य से मौत होने पर परिवार को 1 करोड़ मुआवजा देने की भी व्यवस्था की. कोविड अस्पताल राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के साथ तीन फाइव स्टार होटल को जोड़ा गया. दिल्ली सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय के उपरांत एक तरह से होटल भी अस्पताल का हिस्सा बन गए. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि कोविड की लड़ाई हमारे डॉक्टर्स, नर्सेज, पुलिस, सिविल डिफेंस वालंटियर्स, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बहुत सारे शिक्षक आदि लोग लड़ रहे हैं. अगर कोई भी कोविड योद्धा बीमार पड़ता है, तो उसका अच्छी तरह से इलाज करने के लिए हमने उसके लिए फाइव स्टार होटल में व्यवस्था की है.