संयुक्त राष्ट्र ने सच को नजरअंदाज कर बनाई J&K पर मानवाधिकार रिपोर्ट
रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रपट में बुनियादी स्तर के वास्तविकताओं को नजरअंदाज किया गया है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रपट में बुनियादी स्तर के वास्तविकताओं को नजरअंदाज किया गया है.
सुरक्षाबलों द्वारा मानवधिकार उल्लंघनों की रपट को खारिज करते हुए मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय सेना द्वारा राज्य में आतंकवाद के पीड़ितों को दी जा रही मानवीय सहायता को नजरअंदाज किया.
उन्होंने कहा, "भारतीय सेना को जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों और प्रदर्शनकारियों के समक्ष सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सेना ने वहां स्कूल बनाए हैं, लड़कों व लड़कियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रशिक्षित किया है."
इस रिपोर्ट में भारत से सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफ्स्पा) को तुरंत वापस लेने और 2016 के बाद से हुई नागरिकों की हत्या के सभी मामलों की तहकीकात के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष व विश्वसनीय जांच का गठन करने को कहा गया है.
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया है कि जम्मू एवं कश्मीर, पूर्वोत्तर और माओवाद प्रभावित इलाकों में अलगाववादी बगावती ताकतों और आतंकियों ने दुराचार की गंभीर घटनाओं को अंजाम दिया. इन घटनाओं में सैन्य बल के जवानों, पुलिस, सरकारी अधिकारियों और आम नागरिकों की हत्या की गई और उन्हें यातनाएं दी गईं. Video: सेना ने फिर आजमाया अपना ब्रह्मास्त्र, पत्थरबाजों का मानव ढाल बनाकर टाली जान-माल की हानि