महान गायिका लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के निधन पर दो दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है. आधिकारिक सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. लता मंगेशकर के निधन ने देश को झकझोर दिया है. वो लंबे वक्त से बीमार थीं और आज सुबह मुंबई के अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. मेरी आवाज ही पहचान है... स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने दुनिया को कहा अलविदा, जानें उनकी जिंदगी के जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.
लता मंगेशकर का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा. इस दौरान उनके शव को राष्ट्रीय ध्वज 'तिरंगा' से लिपटाया जाएगा और सशस्त्र सेना के जवान अतिम संस्कार में सलामी देंगे.
क्या होता है राष्ट्रीय शोक
देश की किसी भी महान शख्सियत के निधन को अपूर्णीय क्षति मानते हुए राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है. यह पूरे राष्ट्र के दुःख को व्यक्त करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है. इस दौरान इंडियन फ्लैग कोड के अनुसार इस वक्त राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है. उस महान शख्सियत के पार्थिव शरीर को तिरेंगे में लपेटा जाता है. मिलिट्री बैंड शोक गीत बजाता है और 21 बंदूकों की सलामी दी जाती है.
राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई सरकारी या औपचारिक कार्यक्रम को आयोजन नहीं किया जाता है. इस दौरान संसद, सचिवालय, विधानसभा, अन्य महत्वपूर्ण राष्ट्रीय भवनों या सरकारी कार्यालयों पर लगा राष्ट्रध्वज आधा झुका रहता है. इसके अलावा देश से बाहर स्थित भारतीय दूतावासों पर भी राष्ट्रध्वज आधा झुका रहता है.
बता दें कि लता मंगेशकर 92 साल की थीं. पिछले एक महीने से लता दीदी मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल के ICU में भर्ती थीं. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त किया है और ट्विटर पर लिखा है, "मैं शब्दों की पीड़ा से परे हूं. दयालु लता दीदी हमें छोड़कर चली गईं. लता दीदी के जाने से देश में एक ऐसा खालीपन हुआ है, जिसे भरा नहीं जा सकता है. आने वाली पीढ़ियां उन्हें भारतीय संस्कृति के एक दिग्गज के रूप में याद रखेंगी, जिनकी सुरीली आवाज में लोगों को मंत्रमुग्ध करने की अद्भुत क्षमता थी.