नई दिल्ली, 6 नवंबर : हाल ही में गुजरात के मोरबी में पुल टूटने से 135 व्यक्तियों की मौत हो गई. हादसे के बाद एक सवाल भी उठ रहा है कि क्या पुल के डिजाइन या तकनीक में कोई ऐसी कमी थी, जिसके कारण यह हादसा हुआ. इस पर इंजीनियरों और विशेषज्ञों का स्पष्ट मत है. आईआईटी दिल्ली जैसे देश के विशिष्ट संस्थान का भी मानना है कि पुल गिरने जैसे हादसों के पीछे तकनीकी खामी नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही और लालच कारण है.
आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों का कहना है कि देश में पुल, ब्रिज या फ्लाईओवर बनाने के लिए भरोसेमंद व आधुनिक तकनीक उपलब्ध है. विशेषज्ञों का कहना है कि हादसे तब होते हैं, जब तकनीकी पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है. गौरतलब है कि 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना हैंगिंग ब्रिज टूटने से 135 लोगों को मौत हो गई थी. हादसे के बाद 5 दिनों तक हताहत हुए लोगों की तलाश जारी रही. इससे पहले पश्चिम बंगाल में भी एक निर्माणाधीन पुल टूटने की घटना सामने आई थी. उस समय भी निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगे थे. यह भी पढ़ें : Twitter Paid Blue Tick Verification: इन यूजर्स के लिए ब्लू टिक वेरिफिकेशन सेवा शुरू, जानें भारत में कब होगी लागू
आईआईटी दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर प्रोफेसर श्रीकृष्णन ने बताया कि मोरबी या ऐसे अन्य पुल टूटने के हादसों का कारण टेक्नोलॉजी का फेलियर या टेक्नोलॉजी की कमी नहीं है. प्रोफेसर कृष्णन के मुताबिक भारत के पास निर्माण के लिए बेहतरीन टेक्नोलॉजी उपलब्ध है. अच्छे निर्माण के लिए आवश्यक है कि मौजूदा टेक्नोलॉजी को सही तरीके से अमल में लाया जाए. आईआईटी दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर के मुताबिक मोरबी जैसे हादसे मानवीय लालच और लापरवाही का नतीजा है. टेक्नोलॉजी की कमी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
प्रोफेसर श्रीकृष्णन ने कहा कि यदि सभी नियम कायदों का पालन करते हुए निर्माण कार्य या रिनोवेशन की जाए तो ऐसे हादसे नहीं होंगे, लेकिन जब निर्माण से जुड़े व्यक्ति लापरवाही और लालच के कारण नियमों की अनदेखी करते हैं, तो ऐसे ऐसे हादसे सामने आते हैं. मोरबी नगर पालिका ने 15 साल के लिए 'ओरेवा ग्रुप' नामक एक प्राइवेट कंपनी को झूला पुल की मरम्मत और रखरखाव का काम सौंपा था. कंपनी पर रखरखाव में लापरवाही बरतने का आरोप है. यह हादसा सामने आने के बाद अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
अबतक की तफ्तीश में पता चला है कि ओरेवा समूह ने सालों पुराने पुल के रेनोवेशन में महज 12 लाख रुपए ही खर्च किए, जबकि पुल के रेनोवेशन के लिए कंपनी को 2 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे. मोरबी में पुल टूटने की घटना में करीब 170 लोग घायल हुए थे. दशको पुराने इस पुल को रेनोवेशन के बाद हाल ही में खोला गया था. रेनोवेशन का ठेका ओरेवा ग्रुप को था. कंपनी पर लापरवाही का आरोप है.