गणतंत्र दिवस के दिन लालकिले पर तिरंगे का अपमान हुआ, घटना से देश बहुत दुखी: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 31 जनवरी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार को कहा कि कोरोना महामारी का मजबूती से मुकाबला करने और अब उसके बाद विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान (Vaccination campaign) चलाकर भारत दुनिया के सामने जहां एक मिसाल बना है, वहीं 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन ऐतिहासिक लालकिले पर तिरंगे का अपमान हुआ और इस घटना से देशवासियों को बहुत ठेस पहुंची. तीन कृषि कानूनों को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी के अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 73वीं कड़ी में यह भी कहा कि केंद्र सरकार खेती को आधुनिक बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है और इस दिशा में उसके प्रयास आगे भी जारी रहेंगे.

भारतीय क्रिकेट टीम को शुरुआती दिक्‍कतों के बाद शानदार वापसी करते हुए ऑस्‍ट्रेलिया से श्रृंखला में मिली जीत सहित नए साल में जनवरी के महीने के दौरान मनाए गए पर्व व त्योहारों के साथ अन्य घटनाओं व कायर्क्रमों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘"इन सबके बीच, दिल्ली में 26 जनवरी को तिरंगे का अपमान देख देश बहुत दुखी भी हुआ." उल्लेखनीय है कि तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों द्वारा निकाली गई ट्रैक्टर परेड में हिंसा की वजह से दिल्ली में 26 जनवरी के दिन अफरातफरी मच गई थी. अनेक प्रदर्शनकारी लालकिला परिसर में घुस गए थे तथा वहां ध्वज-स्तंभ पर अपना झंडा लगा दिया था जहां प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. यह भी पढ़ें: Delhi Tractor Parade Violence: दिल्ली हिंसा मामले में पुलिस को 1700 मोबाइल क्लिप और CCTV फुटेज मिले, अब तक 38 FIR दर्ज

देश के विभिन्न इलाकों में नयी प्रौद्योगिकी की मदद से हिसालू यानी स्ट्रॉबेरी की खेती को लेकर बढ़ रहे उत्साह का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जो स्ट्रॉबेरी कभी, पहाड़ों की पहचान थी, वो अब कच्छ की रेतीली जमीन पर भी होने लगी है. किसानों की आय बढ़ रही है.’’इस कड़ी में मोदी ने बुंदेलखंड के झांसी में पिछले दिनों हुए ‘‘स्ट्रॉबेरी महोत्सव’’ का उल्लेख किया और इसके लिए इसकी शुरुआत करने वाली वहां की कानून की छात्रा गुरलीन चावला की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड और स्ट्रॉबेरी की बात सुनकर हर किसी को आश्चर्य होता है लेकिन यह सच्चाई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्ट्रॉबेरी महोत्सव का प्रयोग नवाचार की भावना को तो प्रदर्शित करता ही है, साथ ही यह भी दिखाता है कि देश का कृषि क्षेत्र कैसे नयी प्रौद्योगिकी को अपना रहा है.

उन्होंने कहा, ‘‘खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अनेक कदम उठा भी रही है. सरकार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे.’’ किसानों के आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री का यह बयान बहुत मायने रखता है और वह भी तब जब वह खेती के क्षेत्र में हो रहे बदलावों का उदाहरण देते हुए उन्होंने बुंदेलखंड का उल्लेख किया. उल्लेखनीय है कि सूखा और भुखमरी की समस्या को लेकर बुंदेलखंड प्राय: चर्चाओं में रहता है. कोरोना के खिलाफ चल रहे देशव्यापी टीकाकरण अभियान का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि संकट के समय में भारत दुनिया की सेवा इसलिए कर पा रहा है, क्योंकि आज वह दवाओं और टीके को लेकर आत्मनिर्भर है. उन्होंने कहा, ‘‘यही सोच आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी है. भारत, जितना सक्षम होगा, उतनी ही अधिक मानवता की सेवा करेगा, उतना ही अधिक लाभ दुनिया को होगा." प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ 15 दिन में भारत अपने 30 लाख से ज्यादा कोरोना योद्धाओं का टीकाकरण कर चुका है जबकि अमेरिका जैसे समृद्ध देश को इसी काम में 18 दिन लगे थे और ब्रिटेन को 36 दिन.

उन्होंने कहा, ‘‘जैसे कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई एक उदाहरण बनी है, वैसे ही अब हमारा टीकाकरण अभियान भी दुनिया में एक मिसाल बन रहा है." मोदी ने कहा कि ‘मेड इन इंडिया’ टीके आज भारत की आत्मनिर्भरता का तो प्रतीक हैं ही, भारत के, आत्मगौरव का भी प्रतीक हैं. उन्होंने कहा कि उन्‍हें कई देशों के राष्‍ट्रपति‍यों और प्रधानमंत्रियों से ऐसे संदेश मिलते हैं जिनमें इसके लिए भारत की प्रशंसा की जाती है. मोदी ने भारत को धन्‍यवाद देने वाले ब्राजील के राष्‍ट्रपति के उस ट्वीट का जिक्र भी किया जिसमें हनुमान जी की तस्वीर भी साझा की गई थी. उन्होंने कहा, ‘‘हमें आने वाले समय को नई आशा और नवीनता से भरना है. हमने पिछले साल असाधारण संयम और साहस का परिचय दिया.’’ प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की कि वे इस साल भी कड़ी मेहनत करके अपने संकल्पों को सिद्ध करें और देश को और तेज गति से आगे ले जाने में अपना योगदान दें. यह भी पढ़ें : West Bengal: लॉकडाउन के दौरान केंद्र द्वारा उपलब्ध कराया गया राशन तृणमूल कांग्रेस ने लूटा-स्मृति ईरानी

मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और इसके जरिए लोगों की ओर से साझा किए गए अनुभव उन्हें बहुत प्रेरित करते हैं व ऊर्जा से भर देते हैं. ‘मन की बात’ को लेकर अक्सर विपक्षी दल प्रधानमंत्री की आलोचना करते रहे हैं. उनका आरोप है कि इस कार्यक्रम के जरिए मोदी अपने मन की बात तो करते हैं लेकिन जनता की बात नहीं सुनते. इन आलोचनाओं का जवाब प्रधानमंत्री ने आज कुछ इस प्रकार दिया. उन्होंने कहा, ‘‘ ‘मन की बात’ में श्रोताओं को क्या पसंद आता है, ये आप ही बेहतर जानते हैं. लेकिन मुझे ‘मन की बात’ में सबसे अच्छा ये लगता है कि मुझे बहुत कुछ जानने-सीखने और पढ़ने को मिलता है.’’ मोदी ने कहा, ‘‘एक प्रकार से... परोक्ष रूप से आप सबसे जुड़ने का अवसर मिलता है. किसी का प्रयास, किसी का जज्बा, किसी का देश के लिए कुछ कर गुजर जाने का जुनून, यह सब मुझे बहुत प्रेरित करते हैं और ऊर्जा से भर देते हैं.’’

इस क्रम में प्रधानमंत्री ने हैदराबाद के बोयिनपल्ली में एक स्थानीय सब्जी मंडी में खराब हो जाने वाली सब्जियों से 500 यूनिट बिजली उत्पादन करने, हरियाणा के पंचकूला की बड़ौत पंचायत में गंदे पानी को फिल्टर कर सिंचाई में इस्तेमाल करने और पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग में ‘मोन शुगु’ नाम का पेपर बनाए जाने की कला को पुनर्जीवित करने के एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों की प्रेरक कहानियों का विवरण भी दिया. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में सड़क हादसों से होने वाली मौतों पर भी चिंता जताई और कहा कि यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने सड़क सुरक्षा को लेकर देशवासियों का आह्वान किया कि लोगों का जीवन बचाने के लिए वे भी सक्रिय भागीदार बनें. प्रधानमंत्री ने यह दावा भी किया कि ‘फास्टैग’ सुविधा से टोल प्लाजा पर लोगों का न सिर्फ समय बच रहा है, बल्कि इससे ईंधन की बचत से करीब 21 हजार करोड़ रुपये भी बचेंगे.