कंबोडिया में चीनी गैंग का डरावना राज: 'कैसिनो' के नाम पर हजारों भारतीयों को बनाया गुलाम! साइबर क्राइम
Data Breach, Cyber Attack (Photo Credit: X)

हैदराबाद से एक शख्स की कहानी सुनकर सब हैरान हो गए हैं. यह शख्स कंबोडिया में चीन गैंग के जाल में फंस गया था और 'कैसिनो' के नाम पर उसे गुलामी में रखा गया था. यह शख्स तेलंगाना का निवासी मार्त्हा प्रवीण है. TOI के मुताबिक प्रवीण को अज़रबैजान में नौकरी का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उसे कंबोडिया का वीज़ा दिया गया. वाट्सऐप ग्रुप 'अज़रबैजान श्री ओवरसीज़' जो 'थानुगुला वंशी कृष्णा' और 'टोटा महेश' द्वारा संचालित था, के ज़रिए प्रवीण को नौकरी का प्रस्ताव मिला था. पिछले साल उन्होंने ₹1 लाख ट्रांसफ़र किए थे. उन्हें कई महीनों तक इंतज़ार करवाया गया और फिर अगस्त में कंबोडिया में डेटा एंट्री ऑपरेटर की पोज़ीशन के बारे में बताया गया. लेकिन कंबोडिया पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है.

कैसिनो के नाम पर गुलामी!

टैक्सी ड्राइवर ने उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उनको एक बड़े ऑफिस कॉम्प्लेक्स में ले गया जहां कई कॉल सेंटर चल रहे थे. यहां पहले से ही लगभग 5000 भारतीय मौजूद थे. प्रवीण ने बताया कि धोखे और शोषण का माहौल बहुत डरावना था. काम की स्थिति बहुत खराब थी और लोगों को अलग-अलग स्थानों पर स्थानांतरित किया जाता था. उन्हें सीहानौकविल में एक ऑफिस में स्थानांतरित किया गया, जो फ्नोम पेन्ह से लगभग 200 किमी दूर है. यहां एक कॉल सेंटर रैकेट 'कैसिनो' के रूप में चलाया जा रहा था. यहां चीनी ऑपरेटर फर्ज़ी ट्रेडिंग, निवेश और नौकरी के प्रस्तावों के माध्यम से लोगों को धोखा दे रहे थे. इनका मुख्य लक्ष्य भारतीय, यूरोपीय और तुर्की नागरिक थे. लगभग 100 स्थानीय कंबोडियन इस परिसर की रक्षा करते थे.

गुलामी का जाल!

उन्होंने कहा- "लोगों को कोड नाम दिए गए थे. मुझे 'जोश' कहा जाता था. टीम लीडर केरल से 'थोर', 'रोबिन' और 'लोकी', तमिलनाडु से 'रोलेक्स', बांग्लादेश से 'डेविड', चीन से 'एर्क' आदि थे. हमारे साथी जो ग्राहक देखभाल सेवाओं में काम करते थे, उनके पास डेटा तक पहुंच थी."

प्रवीण ने बताया कि कर्मचारियों को व्यक्तिगत जानकारी शेयर करने से रोका गया था और टीम लीडर को उनकी नज़र रखने को कहा गया था. किसी भी नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना और वेतन में कटौती की जाती थी. हालांकि उनका वेतन $600 था, लेकिन यह कभी भी पूरा नहीं मिला, प्रवीण ने बताया. चीनी आयोजकों ने अक्सर भारतीय नागरिकों, शहरों और आर्थिक स्थितियों के बारे में विवरण मांगा.

बचाव का सफ़र!

प्रवीण ने अपनी आज़ादी खरीदकर भारत वापस आने में कामयाब हो गया. तेलंगाना साइबर सुरक्षा ब्यूरो (TGCSB) ने उनकी शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की है. यह घटना कंबोडिया में हज़ारों भारतीयों के शोषण का एक भयावह सच दर्शाती है. चीनी सिंडिकेट वित्तीय लाभ के लिए हज़ारों लोगों का शोषण कर रहे हैं. इस चिंताजनक मुद्दे के बारे में जानकारी रखना और इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना ज़रूरी है.