लखनऊ: राजस्थान में सत्ता बचाने में लगी कांग्रेस ने बागी युवा चेहरे सचिन पायलट (Sachin Pilot) के खिलाफ बर्खास्तगी का अस्त्र चलाया है. हालांकि कांग्रेस की यह कार्रवाई वहां कितनी कारगर होगी, इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी, मगर इसका असर उत्तर प्रदेश की राजनीति में जरूर दिखाई देने लगा है. यहां यूथ कांग्रेस के चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद के भी बागी होने के संकेत मिलने लगे हैं. जितिन प्रसाद ने जिस तरह से पायलट के प्रति अपनी सहनभूति दिखाई है. उससे कुछ और संकेत मिल रहे हैं. दरअसल मध्यप्रदेश में सिंधिया के हटने के कुछ महीने बाद सचिन पायलट के कांग्रेस से मनमुटाव के भी इसी तरह के संकेत मिल रहे थे और अब वह बागी हो भी गये हैं.
राजस्थान में चल रहे घटनाक्रम में जितिन खुलकर सचिन पायलट का साथ देते दिख रहे हैं. पायलट के पक्ष में उन्होंने ट्वीट भी किया है. लिखा है "सचिन पायलट सिर्फ मेरे साथ काम करने वाले शख्स ही नहीं, बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। कोई इस बात को नकार नहीं सकता कि इन दिनों उन्होंने पूरे समर्पण के साथ पार्टी के लिए काम किया है.उम्मीद करता हूं कि ये स्थिति जल्द सुधर जाएगी, दुखी भी हूं कि ऐसी नौबत आई. " जितिन के इस ट्वीट से उत्तर प्रदेश में कई सियासी मायने देखे जा रहे हैं. यह भी पढ़े: सचिन पायलट के बर्खास्तगी के बाद राजस्थान कांग्रेस में फूट, एक साथ 59 पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा
अभी कुछ ही दिन पहले जितिन प्रसाद ने ट्विटर पर मायावती को आभार व्यक्त किया था. इससे भी कांग्रेसी काफी सकते में हैं. क्योंकि प्रियंका ने मायावती को भाजपा का प्रवक्ता बताया था. इन दोनों दलों में आरोप प्रत्यारोप चल रहे हैं. ऐसे में जितिन प्रसाद का मायावती को अभार जताना कहीं न कहीं खलबली पैदा करने जैसा है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट के जरिए कहा था कि विकास दुबे जैसे दुर्दात अपराधियों को लेकर किसी समुदाय विशेष पर उंगली नहीं उठाई जानी चाहिए या उन्हें कटघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। उनके इसी बयान पर जितिन प्रसाद ने मायावती को आभार व्यक्त किया था.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं, "जितिन प्रसाद ने पहला रिएक्शन विकास दुबे की हत्या के बाद दिया था. जब उन्होंने ब्राह्मण चेतना परिषद बनाया। यह अपने आप में बड़ा संदेश है। जितिन प्रसाद कांग्रेस के अलावा अपनी अलग भूमिका ढूंढ रहे हैं। आने वाले समय में वह अपने को ब्राह्मण चेहरे के रूप में प्रस्तुत करें तो बड़ी बात नहीं है। वह कांग्रेस के एक नेता बने रहने के बजाय बड़ी भूमिका की तलाश में हैं.
हालांकि वह राहुल गांधी के खास माने जाते थे, लेकिन देखा गया कि इनके पीछे राहुल गांधी खड़े नहीं हैं। ज्योतिरादित्य को पार्टी से जाने में नहीं बचा पाए. सचिन पायलट की बड़ी बेइज्जती हो गयी। इतना समय बीत जाने के बाद भी जितिन प्रसाद को कोई नई भूमिका नहीं मिली है. वह भूमिका चाहते हैं इसीलिए उन्होंने ब्राह्मण परिषद बनाया है। इसके माध्यम से वह ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। इसके अलावा सचिन पायलट पर उनकी प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि वह कांग्रेस में अपने प्रति हो रहे व्यवहार से खुश नहीं हैं."
कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि जितिन प्रसाद बड़े सीनियर और ब्राह्मणों के नेता हैं, लेकिन प्रियंका गांधी के आने के बाद वह किनारे कर दिये गये हैं. वह प्रदेश में अपने लिए बड़ी भूमिका चाह रहे हैं, लेकिन वह मिल नहीं पा रही है.यह ठीक नहीं है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का मानना है,
"जितिन हाल में कांग्रेस पार्टी के संगठन के लिए यूपी में ब्राह्मण चेहरों के साथ काम करने में जुटे हुए हैं.जितिन प्रसाद को कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बेहद करीबी माना जाता है.लेकिन, कुछ वक्त से वह कांग्रेस पार्टी में हाशिये पर हैं। हालांकि अभी तक उन्होंने इसे लेकर कोई खुला विरोध नहीं किया है, लेकिन हाल की उनकी कुछ प्रतिक्रियाओं ने पार्टी से खुश न रहने का संकेत अवश्य दिया है."