किसानों की कथनी- करनी में अंतर, 24 घंटे से अधिक समय में भी नहीं हटा सके सड़क मार्ग पर लगा टेंट
कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 11 महीने हो चुके हैं. इस बीच किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर सड़क खोलने की कवायद शुरू की लेकिन किसानों की कथनी और करनी में अब फर्क नजर आ रहा है. किसानों ने सड़क मार्ग खोलने के लिए गुरुवार को बॉर्डर पर लगे टैंटों को हटाना शुरू तो किया लेकिन पूरी तरह से हटाया नहीं.
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर: कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन को 11 महीने हो चुके हैं. इस बीच किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर सड़क खोलने की कवायद शुरू की लेकिन किसानों की कथनी और करनी में अब फर्क नजर आ रहा है. किसानों ने सड़क मार्ग खोलने के लिए गुरुवार को बॉर्डर पर लगे टैंटों को हटाना शुरू तो किया लेकिन पूरी तरह से हटाया नहीं. यह भी पढ़े: Lakhimpur Kheri Violence: आगामी 18 अक्टूबर को किसान 6 घंटे के लिए रोकेंगे रेल यातायात
वहीं 24 घंटे बाद भी किसान उस टैंट को हटा नहीं सके जिस टैंट को हटाने के लिए उनके नेता ने आदेश दिए थे. हालांकि किसान नेता यह कहते हुए नजर आये कि, रास्ता हमने नहीं बल्कि पुलिस ने बंद किया हुआ है. शुक्रवार को पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड पर मोदी सरकार रास्ता खोलो लिख दिया गया है.भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आईएएनएस को बताया कि, रास्ता नहीं खुल सका है, आप बताएं क्या करें ?
हमने अपनी तरफ से रास्ता खोल दिया है क्योंकि हमारी तरफ से कोई रास्ता बंद नहीं है. जो पर्दा लगा रखा था हमने उस पर्दे को हटाया है. उन्ही के बैरिकेड पर लिख दिया है मोदी सरकार रास्ता खोले. दरअसल उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते.