नयी दिल्ली, 21 जुलाई : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने अमरावती मे भूखंड खरीदने वाले निजी व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की छह याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इन व्यक्तियों पर आरोप था कि उन्होंने विक्रेताओं को धोखा देने के इरादे से यह तथ्य छिपाया कि वहां राज्य की राजधानी स्थापित होने वाली है. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए न्यायमूर्ति विनीत सरन तथा न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि सभी लेनदेन निजी खरीदारों और विक्रेताओं के बीच हुआ.
वर्ष 2020 में दर्ज प्राथमिकियों का आधार उन शिकायतों को बनाया गया था जिनमें आरोप लगाया गया था कि खरीदार यह तथ्य जानते थे कि आंध्र प्रदेश की राजधानी उस क्षेत्र में बनाई जानी है जहां उक्त भूभाग स्थित हैं. प्राथमिकी में कहा गया था कि इस तथ्य को उजागर किये बिना खरीदारों ने 2014-15 में विक्रेताओं से जमीन खरीदी और उन्हें ठगा क्योंकि ऐसी भूमि की कीमत कई गुना बढ़ने वाली थी. यह भी पढ़ें : Mumbai Rain Red Alert: आईएमडी ने मुंबई के लिए जारी किया ‘रेड अलर्ट’
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “विक्रेताओं को नुकसान होने या खरीदारों द्वारा धोखाधड़ी का भी कोई प्रश्न नहीं उठता क्योंकि न तो कानूनी रूप से और न ही किसी वैधानिक अनुबंध से, विक्रेता यह बताने के लिए बाध्य थे कि राजधानी वहां बनने वाली है. यह तथ्य सार्वजनिक थे.” पीठ ने कहा, “इसके अलावा, खरीदारों और विक्रेताओं के बीच पहले से स्थापित ऐसा कोई कानूनी सम्बन्ध नहीं था जिसके चलते खरीदार, विक्रेताओं के हित की सुरक्षा के लिए बाध्य हों.”