Sambhal Jama Mosque: संभल जामा मस्जिद के फर्श और दीवारों का स्वरूप बदला, ASI ने हाईकोर्ट में पेश की रिपोर्ट, डिजिटल सर्वे की तैयारी

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार, संभल की जामा मस्जिद में टाइल्स और पत्थरों से फर्श बदली गई है और दीवारों पर तामचीनी पेंट किया गया है. हाईकोर्ट के निर्देश पर ASI ने निरीक्षण किया और पाया कि मस्जिद के कुछ हिस्सों को मरम्मत की जरूरत है. ASI विस्तृत सर्वे कर मस्जिद को मूल स्वरूप में लाने के लिए कार्ययोजना तैयार करेगा.

संभल (उत्तर प्रदेश). भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने संभल स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद के संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मस्जिद के मूल ढांचे में कई बदलाव किए गए हैं, जिसमें फर्श को टाइल्स और पत्थर से बदलना तथा दीवारों पर मोटी तामचीनी पेंट शामिल है. हालांकि, एएसआई ने स्पष्ट किया है कि अभी इन बदलावों की मरम्मत की तत्काल जरूरत नहीं है, लेकिन मस्जिद के मुख्य द्वार और कुछ हिस्सों की हालत खराब होने पर चिंता जताई गई है.

क्या कहती है एएसआई की रिपोर्ट?

27 फरवरी 2025 को एएसआई की विशेषज्ञ टीम ने हाईकोर्ट के आदेश पर मस्जिद का निरीक्षण किया. टीम में शामिल एएसआई के संयुक्त महानिदेशक मदन सिंह चौहान, निदेशक स्मारक जुल्फेगर अली और पर्यवेक्षण पुरातत्वविद् विनोद सिंह रावत ने पाया कि मस्जिद कमेटी द्वारा पहले किए गए मरम्मत कार्यों ने ढांचे के मूल स्वरूप को प्रभावित किया है. रिपोर्ट के मुताबिक:

फर्श में बदलाव: मस्जिद की पूरी फर्श को टाइल्स और पत्थर से बदल दिया गया है.

दीवारों पर पेंट: अंदरूनी हिस्से में सुनहरे, लाल, हरे और पीले रंग की मोटी तामचीनी पेंट की गई है, जिससे मूल नक्काशी और डिजाइन ढक गए हैं.

मुख्य द्वार की खराब हालत: लकड़ी का लेंटर (ऊपरी बीम) सड़ चुका है, जिसे तुरंत बदलने की सलाह दी गई है.

जर्जर कमरे: पश्चिम और उत्तर दिशा में स्टोर रूम के तौर पर इस्तेमाल हो रहे कमरों की लकड़ी की छतें कमजोर हो गई हैं.

"तत्काल मरम्मत की जरूरत नहीं" 

एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि भले ही दीवारों की पेंटिंग ने मस्जिद के मूल स्वरूप को छुपा दिया है, लेकिन यह पेंट अभी अच्छी स्थिति में है. टीम के अनुसार, "बाहरी हिस्से में कुछ जगहों पर पेंट उखड़ने के संकेत हैं, मगर यह स्थिति इमारत की स्थिरता के लिए अभी खतरनाक नहीं है." हालांकि, उन्होंने मस्जिद कमेटी को चेतावनी दी कि भविष्य में बिना एएसआई की अनुमति के कोई निर्माण कार्य न करें.

104 साल पुराना है संरक्षित स्मारक

जामा मस्जिद को 22 दिसंबर 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत संरक्षित घोषित किया गया था. यह मस्जिद एक विशाल गुंबद और खुले आंगन वाली संरचना है, जिसके पूर्वी हिस्से में सीढ़ियों वाला मुख्य द्वार है. मध्य में वजू के लिए बना जलाशय इसकी खास पहचान है. एएसआई ने इसके डिजिटल सर्वे के लिए मेरठ सर्कल को कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है.

अगले कदम क्या होंगे? 

हाईकोर्ट के निर्देशानुसार, एएसआई अब दो मुख्य कार्य करेगा:

संरक्षण योजना: विज्ञान और संरक्षण विभाग मस्जिद में किए गए आधुनिक हस्तक्षेपों की पहचान करेगा और उसे मूल रूप में लौटाने की रणनीति बनाएगा.

नियमित रखरखाव: मस्जिद की सफाई, धूल हटाने और आसपास की अतिक्रमणकारी वनस्पतियों को हटाने का काम शुरू किया जाएगा.

कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को एएसआई को पूरा सहयोग देने का आदेश दिया है. एएसआई 28 फरवरी 2025 तक हाईकोर्ट में अगली रिपोर्ट पेश करेगी. इस मामले में अगली सुनवाई का इंतजार रहेगा.

स्थानीय प्रतिक्रिया

मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष ने कहा, "हमने केवल जरूरी मरम्मत की थी. एएसआई के साथ मिलकर हम इस धरोहर को बचाएंगे." वहीं, इतिहासकार डॉ. राजीव शुक्ला ने चेताया, "ऐतिहासिक इमारतों में बदलाव करते समय एएसआई के दिशा-निर्देशों का पालन जरूरी है."

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