POSH Act For Sexual Harassment: वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए पोश एक्ट जरूरी: मालीवाल
देश में वर्कप्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीाड़न रोकने के लिए 2013 में कानून बनाया गया था. इसे पोश एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट) कहा जाता है.
नई दिल्ली, 29 मार्च: दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा, "कंपनियों में वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए पोश एक्ट लागू करना वक्त की पुकार है. वर्कप्लेस पर सेक्सुअल हैरेसमेंट पर लगाम लगाने के लिए पोश एक्ट बेहद जरूरी है."
पॉश कॉन्क्लेव का आयोजन बुधवार को दिल्ली में कौशल विकास और प्रशिक्षण की पहल के केंद्र 'नो मीन्स नो' की ओर से किया गया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन डॉक्टर पिंकी आनंद ने किया. उन्होंने कहा कि वर्कप्लेस में महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराने और यौन उत्पीड़न रोकने के लिए पोश एक्ट का प्रभावी ढंग से लागू करना बहुत जरूरी है. देश भर की कंपनियों में वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए पोश एक्ट को प्रभावी ढंग से लागू करना ही होगा. Sexual Abuse By Step Father: सौतेले पिता द्वारा बच्ची को यौन शोषण से बचाने में नाकाम रही मां, कोर्ट ने 9 वर्षीय पीड़िता को नानी के साथ रहने की दी इजाजत
गौरतलब है कि देश में वर्कप्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीाड़न रोकने के लिए 2013 में कानून बनाया गया था. इसे पोश एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट) कहा जाता है.
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने इस कार्यक्रम में कई प्रमुख वक्ताओं के साथ टेक्निकल सेशन की अध्यक्षता की. इस मौके पर उन्होंने कॉरपोरेट वल्र्ड में सेक्स उत्पीड़न निषेध अधिनियम (पॉश एक्ट) को प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत पर जोर दिया. यौन उत्पीड़न अभी भी ऐसा विषय माना जाता है, जिसकी चर्चा समाज में खुले रूप में नहीं की जा सकती. यही कारण है कि अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के मामलों की अधिकांश महिलाएं शिकायत नहीं दर्ज कराती. इसलिए संस्थानों को इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने चाहिए और महिलाओं को इससे निपटने का प्रशिक्षण देना चाहिए.
वहीं 'नो मीन्स नो' के संस्थापक विशाल भसीन ने सेक्स उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम लगाने के प्रति जागरूकता बढ़ने पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि अब ज्यादा से ज्यादा संस्थान यह समझने लगे हैं कि सेक्स उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा है. दफ्तरों या वर्कप्लेस में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि वह 2013 से यौन त्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम को लागू करने के सफर का हिस्सा बने हैं. वह इस समय भारत के 500 से ज्यादा संस्थानों में यौन उत्पीड़न निरोधक अधिनियम (पॉश एक्ट) को प्रभावी ढंग से लागू करने में जुटे हैं.
इस कार्यक्रम में स्टीलकेस इंडिया में एचआर विभाग के हेड गौरव ठाकुर ने दो सूचनाप्रधान पैनल डिस्कशन की अध्यक्षता की, जिसकी कॉन्क्लेव में मौजूद सभी प्रतिनिधियों की काफी सराहना की.
इस कॉन्क्लेव में 100 से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए, जिन्होंने 40 से ज्यादा संस्थाओं का प्रतिनिधित्व किया. इसमें नेस्ले, फर्न्स एंड पीटल्स, बिग एफएम, जीएमआर, भारतीय नौसेना, आईआरसीटीसी, बैंक ऑफ बड़ौदा, एयरटेल, हीरो और टाटा ग्रुप ऑफ कंपनियों के साथ कई अन्य कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस कॉन्क्लेव के अंत में वर्कप्लेस पर महिलों का यौन उत्पीड़न रोकने की शपथ दिलाई गई. इस अवसर पर पॉश एक्ट पर एक हैंडबुक का विमोचन भी दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने किया.