नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमों मायावती (Mayawati) को तगड़ा झटका लगा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मायावती को उनके शासनकाल के वक्त मूर्तियों के निर्माण पर खर्च किए गए पैसे लौटने का आदेश दिया है. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है. मामले की अगली सुनवाई 2 अप्रैल को होगी.
देश की शीर्ष कोर्ट ने मामलें की सुनवाई के दौरान आदेश दिया कि मायावती ने मूर्तियां बनाने में जितना भी जनता का पैसा इस्तेमाल किया है, वह उन्हें वापस लौटना होगा. कोर्ट ने मायावती के वकील को कहा कि वह मूर्तियों पर खर्च हुए पैसों को सरकारी खजाने में जमा कराएं.
यह भी पढ़े- अखिलेश के बाद मायावती पर कसा शिकंजा, 14 अरब के स्मारक घोटाले में ED ने की छापेमारी
Supreme Court says prima facie BSP leader Mayawati has to pay back all the public money spent on statues while hearing a plea seeking direction to restrain her from spending public money on building statues. CJI Ranjan Gogoi says it would hear the plea on April 2. (file pic) pic.twitter.com/I6vWjTujfR
— ANI UP (@ANINewsUP) February 8, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 2015 में उत्तर प्रदेश की मौजूदा अखिलेश सरकार से मायावती सरकार द्वारा पार्क और मूर्तियों पर खर्च किए गए सरकारी पैसों का ब्यौरा मांगा था. इस मुद्दे पर अक्सर विपक्षी दल मायावती को घेरते रहते है.
गौरतलब हो कि बीएसपी सरकार ने 2007-11 कार्यकाल के दौरान लखनऊ में अंबेडकर स्मारक, कांशीराम स्मारक, बौद्ध विहार शांति उपवन, कांशी राम इको-गार्डन, कांशीराम संस्कृति स्थल, रमाबाई अंबेडकर स्थल और प्रतीक स्थल समता मूलक चौराहे का निर्माण किया था. इन मूर्तियों में हाथियों और खुद मायावती की मूर्तियां भी शामिल थी.
नोएडा की 33 एकड़ जमीन पर दलित प्रेरणा स्थल और ग्रीन गार्डन भी बनाया गया था. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इन स्मारकों की कुल लागत 5,919 करोड़ रुपये थी. उत्तर प्रदेश सतर्कता विभाग ने 2014 में कई इंजीनियरों और अधिकारियों के खिलाफ कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में मामला दर्ज किया था.