भाजपा सांसद निशिकांत और मनोज तिवारी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की अपील खारिज की
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रांची, 21 जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने देवघर एयरपोर्ट से उड़ान से जुड़े विवाद में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर दर्ज एफआईआर को निरस्त करने को चुनौती देने वाली झारखंड सरकार की याचिका खारिज कर दी.

दोनों सांसदों पर देवघर हवाई अड्डे पर कथित रूप से सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कर उड़ान भरने का आरोप लगा था. इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसे पूर्व में झारखंड हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था. हाईकोर्ट के इस आदेश को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर मंगलवार का फैसला आया है. यह भी पढ़ें : Mahakumbh 2024: अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी इस्कॉन मंदिर के शिविर पहुंचे, भंडारा सेवा में बनाया महाप्रसाद; VIDEO

देवघर एयरपोर्ट से निजी विमान के उड़ान पर विवाद की यह घटना 31 अगस्त 2022 को हुई थी. इस मामले में देवघर एयरपोर्ट की सिक्योरिटी में तैनात डीएसपी सुमन अमन की शिकायत पर देवघर जिले के कुंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इसमें भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन किया. उन्होंने एटीएस पर शाम में निजी विमान को उड़ान भरने के लिए दबाव बनाया था.

सांसद निशिकांत दुबे ने इस एफआईआर के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई के बाद 13 मार्च 2023 को हाईकोर्ट ने निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी, कपिल मिश्रा सहित नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था. झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच में सुनवाई हुई.

हाईकोर्ट ने इस आधार पर एफआईआर रद्द कर दी थी कि विमान (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार इस मामले में जांच के लिए कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी. झारखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई कि इस मामले में जांच जारी रखने के लिए संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है.

दूसरी तरफ निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस तरह के मामले में जांच जारी रखने के लिए संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेनी पड़ती है और इसी आधार पर झारखंड हाईकोर्ट ने फैसला दिया था. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर निरस्त करने के हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया.