नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी है. देश की शीर्ष कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रही 'सेंट्रल विस्टा' (Central Vista) सौंदर्यीकरण और निर्माण परियोजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. इस परियोजना के तहत लुटियंस दिल्ली (Lutyens' Delhi) में राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) से इंडिया गेट (India Gate) तक तीन किलोमीटर के दायरे में सेंट्रल विस्टा का विकास किया जाने का प्रस्ताव है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) शरद अरविंद बोबड़े (Sharad Arvind Bobde) की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि डीडीए को केंद्र की 'सेंट्रल विस्टा' परियोजना को मंजूरी देने के लिए मास्टर प्लान में बदलाव की अधिसूचना जारी करने से पहले कोर्ट को अवगत कराने की जरूरत नहीं है. सैनिकों और कर्मचारियों के भत्ते नहीं, सेंट्रल विस्टा, बुलेट ट्रेन परियोजना रोके सरकार : कांग्रेस
Central Vista matter: Superme Court today refused to stay the Central vista project, after hearing a petition challenging the Centre's decision to notify a change in land use regarding the redevelopment plan. pic.twitter.com/L6aQBc5cC0
— ANI (@ANI) April 30, 2020
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत नये संसद भवन और एकीकृत केन्द्रीय सचिवालय के निर्माण और राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन वर्ग किमी के क्षेत्र में स्थित सेंट्रल विस्टा का पुनर्विकास कर नया स्वरूप देने की पहल की है. इसके तहत प्रधानमंत्री आवास और उपराष्ट्रपति भवन को भी साउथ ब्लॉक के पास ही स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है. इस परियोजना के तहत 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
गौर हो कि देश के विपक्षी दलों ने भी मोदी सरकार को सेंट्रल विस्टा परियोजना को तत्काल रद्द कर उसमें लगने वाले 20 हजार करोड़ रुपये को कोरोना संकट से निपटने में खर्च करने की अपील की है. हालांकि केंद्र सरकार ने विपक्ष की मांग को दरकिनार कर दिया है.
इसी साल फरवरी महीने में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक समेत सरकारी इमारतों को एक सदी से पहले बनाया गया था और विरासत को संरक्षित रखते हुए, सौंदर्यबोध की दृष्टि से नए सेंट्रल विस्टा के पुनर्निर्माण की दिशा में आगे नहीं बढ़ने का कोई कारण नहीं है.