भारत के शीर्ष न्यायालय ने सोमवार को एक बड़े फैसले में तमिलनाडु सरकार को अयोध्या में हो रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लाइव प्रसारण पर लगाए गए कथित प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया है.
सरकार पर आरोप था कि उसने मंदिरों में प्रभु राम के "प्रण-प्रतिष्ठा" के लाइव प्रसारण पर तो रोक लगा ही दिया है, बल्कि इस अवसर पर आयोजित होने वाले सभी प्रकार के पूजा-पाठ, अर्चन और अन्नदान (गरीबों को भोजन कराना) के आयोजन पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. याचिकाकर्ता का कहना था कि राज्य सरकार द्वारा पुलिस अधिकारियों के जरिए की गई इस मनमानी कार्रवाई से संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है.
Supreme Court orders Tamil Nadu government to revoke ban on live telecast of #AyodhyaRamMandir consecration event.
For the latest news and updates, visit: https://t.co/by4FF5oyu4 pic.twitter.com/F0gNIU8GGI
— NDTV Profit (@NDTVProfitIndia) January 22, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के इस कथित मौखिक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया था. हालांकि, बाद में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है और आज अयोध्या में भगवान राम के प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर लाइव प्रसारण, पूजा-पाठ, अर्चन, अन्नदान, भजन आदि पर कोई रोक नहीं लगाई गई है. सरकार ने याचिका को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज करने की मांग की.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि मंदिरों में लाइव प्रसारण की अनुमति देने से इनकार करने का यह एकमात्र आधार नहीं हो सकता है कि उस इलाके में अन्य समुदाय के लोग भी रहते हैं. भारत एक समरूप समाज है, अकेले इस आधार पर (कि अन्य समुदाय भी हैं) रोक नहीं लगाई जा सकती.