सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को जम्मू-कश्मीर मामले में सुनवाई हो रही है. SC में सबसे पहले राज्यसभा सदस्य और एमडीएमके के संस्थापक वाइको (Vaiko) की याचिका पर सुनवाई हुई. वाइको की याचिका पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. केंद्र सरकार को यह नोटिस जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को हिरासत लेने के मामले में दिया गया है, साथ ही केंद्र को 30 सितंबर तक जवाब देने को कहा गया है. वाइको के वकील ने कहा कि गृह मंत्रालय कह रहा है कि किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है, NSA कह रहे हैं कि कुछ मामलों में हिरासत में लिया गया है. वाइको ने अपनी याचिका में केंद्र और जम्मू-कश्मीर को यह निर्देश देने के लिए कहा है कि फारूक अब्दुल्ला को अदालत के सामने लाया जाए, जिन्हें कथित रूप से नजरबंद करके रखा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला को पेश करने के लिए केंद्र को निर्देश दिए जाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा, क्या फारुक अब्दुल्ला किसी प्रकार की हिरासत में हैं? चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस दौरान पूछा कि अभी जम्मू-कश्मीर में हालात क्या हैं? आपने अभी तक कोई रिकॉर्ड सामने नहीं रखे हैं.
फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में लिए जाने पर केंद्र को नोटिस-
Supreme Court has also issued notices to the Union of India, Jammu & Kashmir Govt after hearing a plea by MDMK chief, Vaiko, for release of former J&K CM Farooq Abdullah.
— ANI (@ANI) September 16, 2019
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जम्मू-कश्मीर मामले पर आई कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. SC ने कश्मीर हालात के बारे में भी सवाल किया. आज की सुनवाई में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ याचिकाएं, बच्चों और घाटी के लोगों को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ, पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला को नजरबंद जाने के खिलाफ, घाटी में प्रेस की पर पाबंदी के खिलाफ याचिकाएं शामिल हैं.
इसके आलावा कांग्रेस नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद की याचिका पर सुनवाई होनी है. गुलाम नबी ने जम्मू-कश्मीर के अपने घर जाने की अनुमति भी मांगी है. गुलाम नबी ने कहा कि वे अपने परिवार से मिलना चाहते हैं लेकिन उन्हें श्रीनगर से ही वापिस भेज दिया गया.
घाटी में जल्द बहाल किया जाए सामान्य जन-जीवन
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द सामान्य जनजीवन बहाल किया जाए. SC ने कहा सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर संचार व्यवस्था को सुचारू करने का फैसला ले. SC को सुनवाई के दौरान बताया गया कि घाटी में अभी ना इंटरनेट है, ना ही संचार माध्यम की कोई सुविधा है. सुनवाई के दौरान अदालत में पूछा कि अभी तक कश्मीर में संचार व्यवस्था चालू क्यों नहीं है.
इस बीच अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि श्रीनगर-जम्मू में लगातार अखबार छप रहा है. बता दें कि अनुच्छेद 370हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लगाई गई थी. जम्मू से धारा 144 हटा ली गई है. कश्मीर में मौजूदा हालात को देखते हुए कुछ-कुछ इलाकों में सुरक्षा में ढील दी जा रही है. कश्मीर में कई जगह लैंडलाइन सेवा को बहाल किया गया है.