SC On Length Of Pregnancy and Termination: सुप्रीम कोर्ट ने 26 सप्ताह की गर्भवती महिला को नहीं दी गर्भपात की इजाजत, जानिए क्या है मामला
SC On Pregnancy Termination | PTI/Pixabay

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महिला को 26 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य जन्म के बाद बच्चे की देखभाल कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक विवाहित महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा गर्भावस्था के इस चरण में गर्भपात के अनुरोध को मंजूरी नहीं दे दी जा सकती क्योंकि महिला के जीवन को इससे कोई खतरा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला के माता-पिता यह निर्णय ले सकते हैं कि बच्चे को गोद देना है या नहीं. अदालत ने कहा, महिला को एम्स में इलाज मिलेगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, “गर्भावस्था 26 सप्ताह और 5 दिन की है. इस प्रकार, गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देना एमटीपी अधिनियम की धारा 3 और 5 का उल्लंघन होगा क्योंकि इस मामले में मां को तत्काल कोई खतरा नहीं है और यह भ्रूण की असामान्यता का मामला नहीं है.

गर्भ से मां को कोई खतरा नहीं: SC

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 12 अक्टूबर को कहा था कि वे किसी बच्चे को नहीं मार सकते. अजन्मे बच्चे के अधिकार को मां के अधिकार के साथ संतुलित करने की जरूरत है क्योंकि यह एक जीवित और व्यवहार्य भ्रूण है. महिला 26 सप्ताह की गर्भवती है और महिला ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उसके पहले से ही दो बच्चे हैं और वह दूसरे बच्चे की देखभाल करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से फिट नहीं है. याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि वह डिप्रेशन से पीड़ित है और अपनी गर्भावस्था को समाप्त करना चाहती है.