नई दिल्ली: गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत ने दो टूक शब्दों में कहा है कि कोई भी यक्ति कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता है. इसके साथ ही अदालत ने राज्यों को सख्त आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि देश में भीड़तंत्र की इजाजत नहीं दे सकती है. यहां पर संविधान के मुताबिक काम करना होगा. कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकारों को 4 हफ्तों में कानून बनाने का सख्त निर्देश दिया है.
गोरक्षा के नाम पर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा, 'मॉबोक्रेसी' को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, और इसे नया नियम नहीं बनने दिया जा सकता है. कोर्ट के मुताबिक, इससे कड़ाई से निपटना होगा.
Violence by vigilante groups/cow vigilantism: Supreme Court says, "no citizen can take law into their own hands. In case of fear and anarchy, the state has to act positively. Violence can't be allowed." pic.twitter.com/ryE18JbTCP
— ANI (@ANI) July 17, 2018
सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा के नाम पर हुई हत्याओं के सिलसिले में प्रिवेंटिव, रेमिडियल और प्यूनिटिव दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि संसद को इसके लिए कानून बनाना चाहिए, जिसमें भीड़ द्वारा हत्या के लिए सज़ा का प्रावधान हो. मामले की अगली सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (SC) अगस्त में करेगा.
Violence by vigilante groups/cow vigilantism: Supreme Court asks Parliament to see whether a new law can be made into the issue. Supreme Court fixed the matter for further hearing on August 28
— ANI (@ANI) July 17, 2018
गौरतलब है कि पिछले साल 6 सितंबर को कोर्ट ने सभी राज्यों को गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. साथ ही कहा था कि एक हफ्ते में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की नियुक्ति नोडल ऑफिसर के तौर पर हर जिले में की जाए और कानून हाथ में लेने वाले गोरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (SC) ने गोरक्षा करने वालों पर बैन की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान छह राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था. SC ने इस मामले में यूपी, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड व कर्नाटक को नोटिस जारी किया था.