नई दिल्ली: दुनिया के सबसे ज्यादा व्यस्त शिपिंग रूट में शुमार स्वेज नहर (Suez Canal) में एक जहाज बीते कई दिनों से फंसा हुआ है. स्वेज नहर पर जाम लगने के कारण 150 अन्य जहाज निकलने का इंतजार कर रहे हैं. इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने शुक्रवार को स्वेज नहर के लिए चार सूत्री योजना बनाई है. जहाजों पर भारत समेत एशिया के कई देशों का क्रूड ऑयल समेत अन्य सामान लदा है. फिर बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम, सरकार 2 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा सकती है एक्साइज ड्यूटी
बता दें कि शुक्रवार को मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स की लॉजिस्टिक्स डिविजन की ओर से आयोजित एक बैठक में यह प्लान बताया गया. सरकार के प्लान में कार्गो को प्राथमिकता, फ्रेट रेट, पोर्ट्स को सलाह और जहाजों के लिए दूसरा रूट तय करना शामिल है. इस संबंध में एक बैठक की अध्यक्षता विशेष सचिव (रसद) पवन अग्रवाल ने की, जिसमें पोर्ट, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय, एडीजी शिपिंग, कंटेनर शिपिंग लाइन्स एसोसिएशन (CSLA) और भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के प्रतिनिधि शामिल हुए.
एक 193 किलोमीटर लंबी ये नहर, जो मिस्र में एक कृत्रिम समुद्र-स्तरीय जलमार्ग है, भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है और एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा समुद्री लिंक प्रदान करती है. इस मार्ग का उपयोग भारतीय निर्यात और उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप से 200 बिलियन डॉलर के आयात के लिए किया जाता है.
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने कहा, "इस संकट की अवधि के दौरान माल ढुलाई दरों में स्थिरता बनाए रखने के लिए शिपिंग लाइनों से अनुरोध किया गया है. उन्हें यह बताया गया है कि स्थिति अस्थायी है और लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव की संभावना नहीं है."
केप ऑफ गुड होप के जरिए इन जहाजों के पुन: मार्ग के विकल्प का पता लगाने के लिए सीएसएलए के माध्यम से शिपिंग लाइनों की सलाह दी गई थी. यह बताया गया कि इस तरह की री-रूटिंग में कम से कम 15 दिन ज्यादा लगते हैं। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स ने कहा कि 23 मार्च 2021 से स्वेज नहर की रुकावट, गंभीरता से वैश्विक व्यापार को रोक रही है
इसमें पेट्रोलियम सामान, कार्बनिक रसायन, लोहा और इस्पात, ऑटोमोबाइल, मशीनरी, कपड़ा और कालीन और हस्तशिल्प और फर्नीचर और चमड़े के सामान शामिल हैं. बैठक में बताया गया कि 200 से अधिक जहाज स्वेज नहर के उत्तर और दक्षिण किनारों पर इंतजार कर रहे हैं.