मुंबई: शिरडी के साईं बाबा के समाधि के सौ वर्ष पूरे होने पर आज से शिर्डी में तीन दिवसीय शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया है. इस समारोह में दुनियाभर से करीब पांच लाख साईं भक्तों के शामिल होने को लेकर उम्मीद जताई जा रही है. वहीं खबर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी समारोह के आखरी दिन 19 अक्टूबर को समापन कार्यक्रम में शामिल हो सकतें है. पीएम मोदी के आगमन की खबर के बाद से महाराष्ट्र सरकार की तरफ से तैयारियां जोर- शोर से शुरू कर दी गई हैं.
वहीं प्रधानमंत्री मोदी के बारे में कहा जा रही कि साईं बाब के समापन कार्यक्रम के शामिल होने के बाद वे महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत 4.50 लाख घर बनाने का जो लक्ष्य है. इनमें से ढाई लाख घर बनकर तैयार हो चुका है. पीएम मोदी के हाथों इन्हीं लाभार्थियों का ई-गृहप्रवेश कराया जाएगा. इस ख़ास मौके पर पीएम मोदी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लाभार्थियों से बातचीत भी करेंगे. यह भी पढ़े: पुण्यतिथि विशेष: साईं बाबा ने महा समाधि से पहले भक्तों को दिया था ये वचन, आज भी होता है चमत्कार
गौरलतब हो कि पीएम मोदी को जान से मारने की धमकी मिल चुकी है. ऐसे उनकी सुरक्षा को लेकर कोई भी कोर-कसर सरकार नहीं छोड़ना चाहती है. पूरे शिरडी में सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है. दूसरी तरफ अब विपक्ष सूबे की सरकार को होने बाले खर्च को लेकर घेरने की कयावद में जुट गई है.
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100 साल पूरा होने पर रखा गया है ये भव्य कार्यक्रम
बता दें कि साईं बाबा को समाधी लिए अब 100 साल हो गए हैं. ऐसे में शिरडी स्थित साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट ने उनकी याद में 17 और 18 अक्टूबर को भव्य उत्सव का आयोजन किया है जिसमें पूजा पाट से लेकर सामाजिक सम्मलेन जैसे कायर्क्रम शामिल हैं. साईं बाबा ने हमेशा से ही अपने भक्तों को श्रद्धा और सबूरी का संदेश दिया. उन्होंने मनुष्य ही नहीं बल्कि हर जीती जागती चीज के प्रति प्रेम और सदभावना की सीख दी. इसी वजह से बाबा हर उस शख्स के दिल पर राज करते हैं जिन्होंने उनके संदेश को गंभीरता से लिया है.
जाने साईं बाबा शिरडी में कब हुआ था आगमन
मान्यता के अनुसार साईं बाबा का जन्म 28 सितम्बर 1835 को महाराष्ट्र के पथरी नामक गांव में हुआ था. यही कारण है कि हर साल 28 सितंबर को देश भर में साईं भक्त बड़ी आस्था के साथ बाबा का जन्मदिन मनाते हैं. साईं बाबा के माता-पिता और उनके असली नाम के बारें में किसी को नहीं पता. कहते हैं कि लगभग 16 साल की आयु में साईं अहमदनगर, महाराष्ट्र के शिरडी ग्राम में पहुंचे और वहीं बस गए. बाबा ने फकीरों के रूप में अपना जीवन व्यतीत किया.