कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लगा दिया गया है. लेकिन उसके बाद भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वहीं लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग अलग-अलग जगहों पर फंस गए थे. दरअसल इस दौरान ट्रेन, प्लेन और सभी यातायात बंद हो गए थे. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एयरलाइन टिकटों की राशि की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है, जिसमें टिकट के रमक की पूरी वापसी की मांग की गई है. वहीं इस मामले की सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) से जवाब मांगा है. आदालत ने कोर्ट ने केंद्र और एयरलाइंस को एक साथ बैठने और वापसी के तरीकों के लिए तौर-तरीके अपनाने को कहा है.
बता दें कि विमानन क्षेत्र को लेकर परामर्श देने वाले संगठन सेंटर फोर एशिया पैसिफिक एविएशन (CAPA) ने पहले ही कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के कारण देश भर में आवागमन पर लागू प्रतिबंध खत्म करने के बारे में कोई निर्णय नहीं होने के बावजूद घरेलू विमानन कंपनियों के द्वारा यात्रा के लिए टिकटों की अग्रिम बिक्री की अनुमति देना उपभोक्ताओं की दृष्टि से अनुचित है. कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद केंद्र सरकार ने घरेलू और इंटरनेशल दोनों सेवाओं को बंद कर दिया था. यह भी पढ़ें:- राहुल गांधी ने अमेरिका के डिप्लोमेट निकोलस बर्न्स से की चर्चा, इन मुद्दों पर की चर्चा.
ANI का ट्वीट:-
Supreme Court seeks reply from Ministry of Civil Aviation on petitions seeking complete refund of airline tickets booked for flights during the lockdown period. Court also asks Centre and airlines to sit together and devise modalities for ways to refund. pic.twitter.com/LXg6VxQiUG
— ANI (@ANI) June 12, 2020
इसके अलावा आज सुप्रीम कोर्ट ने MSMEs सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया, याचिकाओं में लॉकडाउन में 54 दिनों की अवधि के लिए कर्मचारियों के पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई है. जस्टिस भूषण ने कहा, हमने नियोक्ताओं के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था. पहले के आदेश जारी रहेंगे. जुलाई के अंतिम सप्ताह में केंद्र को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करना होगा. राज्य सरकार के श्रम विभाग कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच बातचीत में मदद करेंगे.