SC on Election Promises: चुनावी मौसम में वादों की बरसात, रेवड़ी पॉलिटिक्स पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और MP से मांगा जवाब
Supreme Court | Image: PTI

नई दिल्ली: चुनाव के मौसम के बीच चुनावी वादों का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव से पहले सभी तरह के वादे किए जा सकते हैं और कोर्ट ऐसे वादों को नियंत्रित नहीं कर सकता है. मध्य प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता भट्टूलाल जैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "चुनाव से पहले सभी तरह के वादे किए जाते हैं और हम इस पर नियंत्रण नहीं कर सकते. हम इसे अश्विनी उपाध्याय की याचिका के साथ टैग करेंगे." याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि ‘चुनाव से पहले सरकार के नकदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता. हर बार यह होता है और इसका बोझ आखिरकार करदाताओं पर आता है.’ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों में नवंबर मध्य से दिसंबर के पहले सप्ताह के बीच हो सकते हैं चुनाव.

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर दोनों राज्य की सरकारों से शुक्रवार को जवाब मांगा. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि चुनावों के ठीक 6 महीने पहले मुफ्त चीजें, जैसे- टैब इत्यादि बांटा जाता है और राज्य सरकारें इसे जनहित का नाम देती हैं. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए इस तरह के वादे करके और मुफ्त सुविधाएं देकर करदाताओं के पैसे को बर्बाद कर रही हैं और यह रिश्वतखोरी और गलत प्रभाव डालने के बराबर है.

याचिका में कहा गया कि राज्य भारी कर्ज में हैं और मुफ्त चीजें नहीं बांटी जानी चाहिए. मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि ‘नोटिस जारी करिए. चार हफ्ते के भीतर जवाब दीजिए.’ सुप्रीम कोर्ट ने भट्टूलाल जैन की जनहित याचिका को इसे मामले पर लंबित एक अन्य याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया.

गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव इस साल नवंबर-दिसंबर में होने की संभावना है. राजस्थान में कांग्रेस तो वहीं मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि दोनों राज्यों की सरकारें वोटरों को लालच देने के लिए करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग कर रही हैं.