SC on Abbas Ansari bail: अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ED को जारी किया नोटिस
Abbas Ansari | Credit- X

नई दिल्ली, 14 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की जमानत याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई. कोर्ट ने अब्बास की जमानत याचिका पर ईडी को नोटिस भी जारी किया है. जस्टिस एमएम सुंदरेश और संदीप मेहता की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी करते हुए उत्तर प्रदेश के मऊ से विधायक अब्बास अंसारी की विशेष अनुमति याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है.

इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 9 मई के अपने आदेश में अब्बास की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. हालांकि, उसने निचली अदालत को निर्देश दिया था कि वह जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करे. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ ने कहा था, “यह अदालत पीएमएलए की धारा 45 के संदर्भ में पहली नजर में यह संतुष्टि देने में असमर्थ है कि आवेदक दोषी नहीं है या फिर वह जमानत पर रहते समय कोई अपराध नहीं कर सकता.” यह भी पढ़ें : आबकारी नीति मामला : न्यायालय का केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से इनकार

कोर्ट ने अब्बास अंसारी के खिलाफ मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पेश किए गए मनी ट्रेल का भी संज्ञान लिया. बयान में कहा गया है कि मनी ट्रेल अंसारी को दो कंपनियों- मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मेसर्स आगाज से धन के लेनदेन से जोड़ता है. ईडी का आरोप है कि अंसारी ने इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया था.

ईडी ने धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत तीन अलग-अलग एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है. पहले आपराधिक मामले में, यह आरोप लगाया गया था कि एक निर्माण कंपनी के भागीदारों ने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण किया था.

वहीं, दूसरी एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि मुख्तार अंसारी ने एक स्कूल बनाने के लिए विधायक कोष से धन लिया था. लेकिन, कोई स्कूल नहीं बनाया गया और जमीन का इस्तेमाल कृषि के लिए किया गया. तीसरी एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि अंसारी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर सरकारी जमीन हड़प ली और एक अवैध मकान बना लिया.