साहरनपुर, 30 अप्रैल : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि स्वयं दुखमुक्त होने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करने की राह भारत दिखा रहा है. इसके अब कई प्रमाण मिल रहे हैं. निस्वार्थ बुद्धि से यह काम चलता है, यही हम सबका कर्तव्य है. संघ प्रमुख मोहन भागवत शनिवार को सहारनपुर के मोक्षायतन योग संस्थान के 49वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि योग का मतलब है झुकना. कलाकार कला की साधना करते हुए परम तत्व तक पहुंच जाते हैं. हमारे यहां जीवन में बुद्धि शरीर के लिए नहीं है. मनुष्य के अस्तित्व का सूत्र एक है, इसे जो समझ लेता है उसका कोई शत्रु नहीं रहता, कोई दुख नहीं रहता. ऐसा जीवन जीकर दिखाना हमारा दायित्व है.
हमारे पूर्वजों ने यह दायित्व हमें दिया है. दुखमुक्त होने के बाद हमें दुनिया को दुखमुक्त करना है. हमेशा समुद्र की लहरें होती हैं, लहरों के समुद्र नहीं होते. स्वयं दुखमुक्त होने के बाद दुनिया को दुखमुक्त करना, यही भारत है. उन्होंने कहा कि अंदर की व्यवस्था बदल जाएगी तो जैसा दिख रहा है वैसा नहीं दिखेगा. इसके पीछे के सत्य को देखना योग है. प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित करना योग है. संतुलन भी योग है. योग का पेटेंट भारत के नाम पर हो, यह योग भारत का है. दुनिया कल्पना करती है शांति की, बात यही बताएंगे लेकिन यह होगा कैसे यह दुनिया के पास नहीं है. क्योंकि उनके पास इसका तरीका नहीं है, उनके पास सिर्फ भौतिक ज्ञान है. यह भी पढ़ें : दिल्ली भाजपा ने पेट्रोल-डीजल पर वैट नहीं घटाने को लेकर आप सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया
डा. मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया का स्वरूप सत्य है. हर बात के पीछे एक सत्य होता है. गीता में भी कहा गया है. बंधन क्यों होता है. मानव में असीम शक्ति होती है. हमारे शरीर मन बुद्धि की प्रवित्तियों के बारे में दिखाई नहीं देता, जो बीच में आ गया वही दिखता है. जो शांत है उसका सब दिखता है. यानी जो ऊपर की माया है मन बुद्धि शरीर. आज का न्यूरो साइंस कहता है कि माया है, वही आप समझ पाते हो जिसे आपके साफ्टवेयर में डाला गया है. कहा कि योग हमें समुदाय पर्यावरण प्रकृति से जोड़ता है. कलाकार कला की साधना करते हुए परम तत्व तक पहुंच जाते हैं.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि योग एक प्राचीन जीवन पद्वति है जो मानव चेतना के विकास में भूमिका निभाता है. 5000 साल से अधिक पुरानी योग की विरासत को पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा, इसके बाद योग दिवस की मंजूरी मिली, कोविड में योग ने लोगों को स्वस्थ्य रखने का काम किया. दैनिक जीवन मे योग को शामिल कर स्वस्थ्य रह सकते हैं. योग संजीवनी है. योग को हर कोई स्वीकार कर रहा है. प्रकृति का साथ करिये. योग को किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. योग हर किसी को स्वस्थ्य रखने की कामना करता है.