सबरीमाला विवाद: SC में पुर्नविचार याचिका पर सुनवाई, देवासम बोर्ड ने बदला अपना रुख, कहा- हर उम्र की महिलाओं को मिलेगी मंदिर में प्रवेश की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई शुरु कर दी है. भगवान अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर याचिकाकर्ता का कहना है कि धर्म के मामले अदालत द्वारा तय नहीं किए जाने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट और सबरीमाला मंदिर (File Image)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को केरल (Kerala) के सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश (the entry of women) देने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका (review petitions) पर सुनवाई शुरु कर दी है. इस पूरे विवाद में मंदिर के प्रबंधन को देखने वाले ट्रावणकोर देवस्वाम बोर्ड (टीडीबी) ने अपना रुख बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को दर्शन करने का अधिकार मिलना चाहिए. उसने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देगा.

उधर, भगवान अयप्पा मंदिर (Ayyappa temple) में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि धर्म के मामले अदालत द्वारा तय नहीं किए जाने चाहिए. इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी दलील पेश करते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मुन सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि आंतरिक समुदाय के मामलों (internal community matters) को सुलझाने का जिम्मा समुदाय के सदस्यों पर ही छोड़ देना चाहिए. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को तब तक इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए, जब तक कुछ गलत ना हो.यह भी पढ़ें: सबरीमाला मंदिर के दर्शन करने वाली महिला को परिवार वालों ने घर से निकाला, आश्रय के लिए पहुंची शेल्टर होम

बता दें कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दायर की गई समीक्षा याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. इनमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने चार महीने पहले ही मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जिसके बाद कोर्ट के फैसले के विरोध में केरल में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे. ज्ञात हो कि सबरीमाला विवाद को लेकर कोर्ट में 65 समीक्षा याचिकाएं दायर की गई हैं, इनके अलावा कोर्ट की अवमानना की याचिकाएं भी दायर हुई हैं. यह भी पढ़ें: सबरीमाला मंदिर: ट्रांसजेंडर समुदाय के 4 सदस्य को लोगों ने प्रवेश से रोका, किया उपहास

गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर महीने में कोर्ट ने 800 साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि सभी उम्र की महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं. कोर्ट ने कहा था कि किसी को आयु या लिंग के आधार पर मंदिर में जाने से रोका नहीं जा सकता. हालांकि कोर्ट के इस फैसले से पहले सबरीमाला मंदिर में 10 साल की लड़कियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी.

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