देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली (Chamoli) जिले में तपोवन (Tapovan) सुरंग में बचाव अभियान छठे दिन भी जारी है. चमोली की डीएम स्वाति भदौरिया (Swati Bhadoriya) ने शुक्रवार को बताया कि अब तक 36 शव बरामद किए जा चुके हैं और 204 लोग लापता हैं. जबकि दो लोगों को बचाने में सफलता मिली है. राज्यपाल बेबी रानी को तपोवन में लोगों के आक्रोश का सामना करना पडा
धौलीगंगा नदी में जलस्तर बढ़ने से राहत एवं बचावकर्मियों ने सुरंग में बचाव अभियान कुछ समय के लिए रोक दिया था. हालांकि बाद में बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की गाद से भरी तपोवन सुरंग में फंसे 30-35 लोगों तक पहुंचने के लिए अभियान फिर शुरू कर दिया गया. अधिकारीयों ने बताया कि नदी के जलस्तर में वृद्धि के बाद कुछ समय के लिए रुका अभियान फिर शुरू हो गया है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि वे अब मलबे और गाद से अवरुद्ध सुरंग में छोटी टीमों को ही भेज रहे हैं.
दरअसल सुरंग में फंसे लोगों को बचाने में कीचड़ और गाद सबसे बड़े अवरोधक हैं तथा ऐसे में यह पता लगाने के लिए एक बड़ी मशीन से छेद कर कीचड़ और गाद को निकाला जा रहा है कि क्या इस समस्या को किसी और तरीके से सुलझाया जा सकता है तथा क्या बचावकर्मी और गहराई में जा सकते हैं.
Uttarakhand | 36 dead bodies recovered and 2 persons found alive, so far: Chamoli District Magistrate Swati Bhadoriya
— ANI (@ANI) February 12, 2021
जलस्तर में अचानक वृद्धि से कुछ घंटे पहले राहतकर्मियों ने सुरंग के मुंह से मलबे में छेद करने का अभियान भी शुरू किया था, ताकि फंसे कर्मियों तक पहुंचा जा सके और उन तक जीवनरक्षक उपकरण पहुंचाए जा सकें. जलस्तर में वृद्धि की सूचना मिलने के बाद राहतकर्मियों को अपनी भारी मशीनरी के साथ सुरंग से बाहर निकलना पड़ा.
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य सावधानी के तौर पर अस्थायी तौर पर बंद किया गया था. सुरंग में फंसे लोगों के जीवन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच अब सारा ध्यान सुरंगों के 2.5 किलोमीटर नेटवर्क के 1.5 किलोमीटर हिस्से पर केंद्रित है. बचाव अभियान में कई एजेंसियां लगी हैं और पिछले पांच दिन से उनके अभियान का केंद्र यह सुरंग है. हर गुजरता क्षण इसके भीतर फंसे लोगों की सुरक्षा संबंधी चिंता को बढ़ा रहा है.
राज्यसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए अथक प्रयास किये जा रहे है. उन्होंने बीते मंगलवार को ऊपरी सदन को बताया “7 फरवरी के उपग्रह डाटा के अनुसार ऋषि गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में समुद्र तल से 5600 मीटर ऊपर ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ जो लगभग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जितना बड़ा था. जिससे ऋषि गंगा नदी के निचले क्षेत्र में फ्लैश फ्लड की स्थिति बन गई.” (एजेंसी इनपुट के साथ)