राफेल डील: कांग्रेस प्रवक्ता पर भड़की रिलायंस, कहा- बिना सबूत आरोप लगाना पड़ेगा भारी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दो चिट्ठी लिखने के बाद रिलायंस समूह ने अब लीगल नोटिस भेजकर चेतावनी दी है. कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल को भेजे गए नोटिस में कंपनी ने कहा है कि इस सौदे से जुड़े मुद्दों पर बिना किसी सबूत के कोई आरोप कांग्रेस ना लगाएं.
मुंबई: राफेल डील में घोटाले का आरोप लगानेवाली कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दो चिट्ठी लिखने के बाद रिलायंस समूह ने अब लीगल नोटिस भेजकर चेतावनी दी है. कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल को भेजे गए नोटिस में कंपनी ने कहा है कि इस सौदे से जुड़े मुद्दों पर बिना किसी सबूत के कोई आरोप कांग्रेस ना लगाएं. वहीं, शेरगिल ने कहा कि वो ऐसे नोटिसों से डरने वाले नहीं हैं.
यह नोटिस रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, रिलायंस डिफेंस और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर की तरफ से भेजा गया है. जयवीर शेरगिल को भेजे लीगल नोटिस में उन्हें राफेल डील पर चुप रहने की चेतावनी दी गई है. कंपनी ने लिखा है कि शेरगिल वही, बातें बोले जिसका उनके पास सबूत हो. वर्ना उन्हें इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा.
बता दें कि राहुल गांधी सहित पूरी कांग्रेस राफेल डील में महाघोटाले का आरोप लगाकर हमेशा बयान देती रहती है. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर अनिल अंबानी की कंपनी से सांठगांठ कर हजारों करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. इस मुद्दे पर बिजनेसमैन अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को दो बार पत्र लिखकर अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया था.
अंबानी ने हाल ही में लिखे पत्र में कहा था कि उनके प्रति दुर्भावना रखने वाले कुछ निहित स्वार्थी तत्वों और कार्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों ने इस सौदे पर कांग्रेस पार्टी को गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दे रहे हैं. इससे पहले भी अंबानी ने राहुल को पत्र लिखा था और बताया था कि विमानों के एक रुपये मूल्य के एक भी कलपुर्जे का विनिर्माण उनके समूह द्वारा नहीं किया जाएगा.
कांग्रेस ने राफेल सौदे को नरेंद्र मोदी सरकार का एक घोटाला करार देते हुए इसे लेकर हमले को तेज करने का ऐलान किया है. कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार राफेल विमानों के लिए पिछली यूपीए सरकार में तय कीमत से कहीं ज्यादा कीमत दे रही है.
कांग्रेस का आरोप है कि राफेल सौदे का एक ठेका सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से छीनकर निजी कंपनी को दे दिया गया. उनका कहना है कि मोदी सरकार ने इस डील में बदलाव सिर्फ एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के लिए किया है. इसलिए इस सौदे से देश के सरकारी खजाने को 41,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.