RBI Repo Rate: आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा, मौद्रिक नीति का रुख न्यूट्रल किया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से मौद्रिक नीति समीति (एमपीसी) के निर्णय का बुधवार को ऐलान किया गया. केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है.

Credit -IANS

मुंबई, 9 अक्टूबर : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से मौद्रिक नीति समीति (एमपीसी) के निर्णय का बुधवार को ऐलान किया गया. केंद्रीय बैंक द्वारा रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी के छह में से पांच सदस्य रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में थे. ब्याज दरों को स्थिर रखने के साथ एमपीसी की ओर से मौद्रिक नीति रुख को विड्रॉइंग अकोमोडेशन से न्यूट्रल कर दिया गया है. इससे केंद्रीय बैंक को महंगाई की दिशा के मुताबिक, ब्याज दरों को तय करने में मदद मिलेगी. गवर्नर ने आगे कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत पर रह सकती है. हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया, जो कि पहले 7.2 प्रतिशत थी.

इसके अलावा वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कि पहले 7.3 प्रतिशत था. वहीं, वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कि पहले 7.2 प्रतिशत था. वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया गया है, जो कि पहले 7.2 प्रतिशत था. केंद्रीय बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत पर रह सकती है. यह भी पढ़ें : हरियाणा में ‘हैट्रिक’ : भाजपा नेतृत्व से मुलाकात करने के लिए दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री सैनी

इसके अलावा वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में महंगाई दर के अनुमान को 4.4 प्रतिशत से घटाकर 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में महंगाई दर के अनुमान को 4.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में महंगाई दर के अनुमान को 4.3 प्रतिशत से घटाकर 4.2 प्रतिशत कर दिया. वहीं, वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के महंगाई दर के अनुमान को 4.4 प्रतिशत से घटाकर 4.3 प्रतिशत कर दिया गया है. गवर्नर दास की ओर से कहा गया कि सितंबर के आंकड़ों में महंगाई बढ़ने का अनुमान है. इसकी वजह खाद्य उत्पादों की कमीतें, प्रतिकूल आधार हाल ही में बड़ी मेटल की कीमतें हैं.

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