78 साल पुराना सर क्रीक विवाद फिर सुर्खियों में, राजनाथ सिंह ने दी कराची तक पहुंचने की चेतावनी
Rajnath Singh | PTI

विजयादशमी के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने गुजरात के भुज (Bhuj) स्थित सैन्य ठिकाने पर L-70 एयर डिफेंस गन का शस्त्र पूजन किया. यह वही गन है जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने रण ऑफ कच्छ में सर क्रीक क्षेत्र का भी दौरा किया और वहां तैनात जवानों का मनोबल बढ़ाया. राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि “आजादी के 78 साल बाद भी पाकिस्तान सर क्रीक विवाद को उकसाने की कोशिश कर रहा है.” उन्होंने बताया कि भारत ने कई बार बातचीत से मसले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं है. हाल ही में पाकिस्तानी सेना ने सिर क्रीक के पास सैन्य ढांचे का विस्तार किया है, जिससे उसकी मंशा साफ झलकती है.

कड़ी चेतावनी: मिलेगा करारा जवाब

रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि “अगर सर क्रीक क्षेत्र में कोई भी दुस्साहस किया गया, तो उसे ऐसा निर्णायक जवाब मिलेगा जिससे इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे.”

उन्होंने 1965 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय भारतीय सेना लाहौर तक पहुंच चुकी थी. आज 2025 में भी भारत वही ताकत रखता है और पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची तक जाने का रास्ता सर क्रीक से भी होकर जाता है.

सर क्रीक विवाद क्या है?

सर क्रीक एक 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय जलमार्ग है, जो गुजरात के कच्छ और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के बीच स्थित है. भारत का कहना है कि सीमा इस धारा के बीचों-बीच होनी चाहिए. वहीं पाकिस्तान का दावा है कि सीमा धारा के पूर्वी किनारे पर होनी चाहिए, जो भारत के और करीब है.

राजनाथ सिंह ने बताया कि भारतीय सेना और बीएसएफ मिलकर इस क्षेत्र की सतर्कता से निगरानी कर रहे हैं. उन्होंने सैनिकों की वीरता की सराहना करते हुए कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाएगी.