नयी दिल्ली, 19 मार्च : रेल मंत्री पीयूष गोयल (Rail Minister Piyush Goyal) ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि रेलवे के आधारभूत ढांचे का निजीकरण नहीं किया जाएगा और उसकी योजना विकास को गति प्रदान करने के लिए संसाधान जुटाने की खातिर परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण (Monetization) करने की है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निजी साझेदारी (PPP) के जरिए शुरू किए यात्री ट्रेन परिचालन से करीब 30,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश का लक्ष्य रखा गया है. गोयल ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि रेलवे ने अपनी परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण की योजना बनायी है जिसमें चालू होने के बाद पूर्वी और पश्चिमी माल ढुलाई गलियारा, पीपीपी के तहत स्टेशनों का पुनर्विकास, रेलवे कॉलोनी, हिल रेलवे और स्टेडियम (Railway and Stadium) शामिल हैं. उन्होंने कहा कि परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण से आधारभूत ढांचा के निर्माण के लिए अधिक संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी.
उन्होंने स्पष्ट किया कि संपत्तियों के मौद्रीकरण का अर्थ उनका निजीकरण नहीं है बल्कि दोनों में अंतर है. उन्होंने कहा कि निजीकरण की स्थिति में संबंधित संपत्ति का स्वामित्व सरकार के पास नहीं रहता लेकिन मौद्रीकरण के बाद भी संपत्ति का स्वामित्व रेलवे के पास ही रहेगा. रेल मंत्री ने गुलबर्गा में रेलवे जोन स्थापित किए जाने की मांग पर कहा कि अध्ययन में इसे व्यवहार्य नहीं पाया गया है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में व्यवहार्यता के अलावा आने वाले खर्च को भी ध्यान में रखा जाता है. इस पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि गुलबर्गा डिविजन बनाए जाने की घोषणा अध्ययन के बाद की गयी थी और इसके लिए जमीन भी दे दी गयी थी. गोयल ने निजी निवेश होने पर रोजगार के अवसर घटने संबंधी आशंकाओं को खारित करते हुए कहा कि निजी ट्रेनों में भी कर्मचारियों और विभिन्न सेवाएं मुहैया कराने वाले कर्मियों की जरूरत होगी. उन्होंने कहा कि रेलवे अपने नेटवर्क का अधिकतम उपयोग चाहता है. इससे यात्रियों को अच्छी और आधुनिक सुविधाएं मिल सकेंगी वहीं विभाग की आय में भी वृद्धि होगी. यह भी पढ़ें : Bihar : NDA में उभरे विरोधी स्वर, MLC उम्मीदवारों के चयन पर नाराजगी
गोयल ने कहा कि इस साल के बजट में रेलवे के लिए 2.15 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जो पिछली सरकारों की तुलना में खासी बड़ी रकम है. लेकिन सुविधाएं जुटाने के लिए यह पर्याप्त नहीं है और उसके लिए शायद 50 लाख करोड़ रुपये भी कम पड़ जाएंगे. उन्होंने कहा कि सिर्फ यात्री ट्रेनों के लिए सात समर्पित मार्गों की दिशा में सरकार काम कर रही है ताकि सेमी-हाई स्पीड ट्रेनों का संचालन हो सके. उन्होंने कहा कि इस संबंध में विभिन्न सरकारों से उनके सहयोग के संबंध में चर्चा की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस संबध में उत्तर प्रदेश सरकार की अच्छी प्रतिक्रिया रही है और वह दिल्ली-वाराणसी मार्ग को लेकर सहयोग कर रही है. प्रस्ताव के तहत इस मार्ग का अधिकतर हिस्सा राजमार्गों पर ‘एलिवेटेड’ होगा.