Caste Census Debate: 'बहुजनों के साथ धोखा': जाति जनगणना में देरी पर राहुल गांधी का केंद्र पर बड़ा हमला, बोले सरकार के पास कोई ठोस प्लान ही नहीं
राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जाति जनगणना पर गंभीर नहीं है और जानबूझकर इस मुद्दे पर चर्चा से बच रही है.
Caste Census Debate: राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जाति जनगणना पर गंभीर नहीं है और जानबूझकर इस मुद्दे पर चर्चा से बच रही है. उन्होंने कहा कि उन्होंने संसद में सवाल रखा था, लेकिन सरकार की लिखित प्रतिक्रिया देखकर खुद हैरान रह गए.
सरकार की तैयारी पर उठे सवाल
राहुल गांधी के अनुसार केंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि उसके पास न तो कोई तय ढांचा है और न ही जाति जनगणना के लिए कोई समयबद्ध योजना. न संसद में चर्चा, न जनता से संवाद और न ही उन राज्यों से सीखने की कोशिश, जहां जाति सर्वे सफलतापूर्वक किया गया. उनका कहना है कि यह रवैया देश की बहुजन आबादी के साथ खुला धोखा है.
उन्होंने सरकार से पूछा था कि अगली जनगणना के लिए सवाल कैसे तैयार होंगे, सार्वजनिक सुझाव कब लिए जाएंगे और क्या राज्यों के जाति सर्वेक्षणों का विश्लेषण किया जाएगा.
सरकार का जवाब – पुराने अनुभवों के आधार पर होगी प्रक्रिया
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जवाब दिया कि आने वाली जनगणना पहले की प्रक्रियाओं के अनुभवों के आधार पर होगी. उन्होंने बताया कि 2027 की जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी. पहला चरण यानी मकान सूचीकरण और आवास गणना अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच होगी. दूसरा चरण यानी जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में किया जाएगा.
लद्दाख, जम्मू-कश्मीर और हिमालयी बर्फबारी वाले क्षेत्रों में जनगणना सितंबर 2026 में की जाएगी. सरकार ने यह भी कहा कि प्रश्नावली तभी अंतिम रूप पाती है जब मंत्रालयों, विभागों और डेटा उपभोक्ताओं से सुझाव मिल जाते हैं और फील्ड में उनका परीक्षण पूरा हो जाता है.
राज्यों ने पहले ही कर ली तैयारी
बिहार ने 2023 में जाति आधारित सर्वे पूरा कर लिया था. वहीं तेलंगाना और कर्नाटक ने 2024 में और सितंबर–अक्टूबर 2025 में ऐसे सर्वे कराए. राहुल गांधी का कहना है कि इन मॉडलों से केंद्र सीख सकता था, लेकिन उसने ऐसा करने में कोई रुचि नहीं दिखाई.