डॉक्टरों पर हमला करने वालों की अब खैर नहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अध्यादेश पर लगाई मुहर- अब होगी सात साल की जेल
कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रति गलत व्यवहार और हमला करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. लेकिन अब COVID-19 से जंग लड़ रहे देशभर के स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमला करने वालों की अब खैर नहीं है. क्योंकि अगर ऐसा अब किसी ने किया तो उन्हें लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ेगी. दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉक्टरों और नर्सों पर हमले को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने वाले अध्यादेश (Ordinance to Protect Healh Workers) पर मुहर लगा दी है. इसे मंजूरी मिलने के बाद अगर किसी ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करता है या उसका कोई साथ देता है तो उन्हें 3 महीने से 5 साल तक कैद हो सकती है. इतना ही नहीं उन्हें 50 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.
कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य कर्मचारियों के प्रति गलत व्यवहार और हमला करने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. लेकिन अब COVID-19 से जंग लड़ रहे देशभर के स्वास्थ्य कर्मचारियों पर हमला करने वालों की अब खैर नहीं है. क्योंकि अगर ऐसा अब किसी ने किया तो उन्हें लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ेगी. दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डॉक्टरों और नर्सों पर हमले को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाने वाले अध्यादेश (The Epidemic Diseases (Amendment) Ordinance) पर मुहर लगा दी है. इसे मंजूरी मिलने के बाद अगर किसी ने स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला करता है या उसका कोई साथ देता है तो उन्हें 3 महीने से 5 साल तक कैद हो सकती है. इतना ही नहीं उन्हें 50 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.
वहीं स्वास्थ्यकर्मियों को गंभीर चोट आई तो इस अपराध के लिए आरोपी के खिलाफ 6महीने से 7 साल की सजा का प्रावधान और जुर्माना एक लाख से5 लाख रुपए तक लगाया जाएगा. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में महामारी रोग अधिनियम 1897 में संशोधन और अध्यादेश को मंजूरी दी गई थी. दरअसल, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लगे स्वास्थ्यकर्मियों पर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहीं हमले की घटनाओं को देखते हुए डॉक्टरों में आक्रोश रहा. जिसके बाद ऐसे लोगों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की मांग उठतने लगी.
ज्ञात हो कि डॉक्टरों ने बुधवार की रात सांकेतिक प्रदर्शन और गुरुवार को काला दिवस मनाने का ऐलान किया था. जिसके बाद जहां बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग कर उन्हें सुरक्षा का भरपूर भरोसा दिया था. जिसके बाद आईएमए ने सांकेतिक प्रदर्शन का इरादा छोड़ दिया. वहीं भारत सरकार की तरफ से बुधवार को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar)ने प्रेस कांफ्रेस कर नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ होने वाले हमले और दुर्व्यवहार को बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उसके बाद इस अध्यादेश को प्रेसिडेंट के पास भेज दिया गया था.