
EC on Duplication in EPIC Numbers: चुनाव आयोग ने कुछ सोशल मीडिया पोस्ट और मीडिया रिपोर्ट्स का संज्ञान लिया है, जिसमें दो अलग-अलग राज्यों के मतदाताओं के वोटर आईडी नंबर (EPIC) एक जैसे होने का मुद्दा उठाया गया है. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि भले ही कुछ मतदाताओं के EPIC नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन उनकी अन्य जानकारियां, जैसे कि जनसांख्यिकीय विवरण (नाम, पता आदि), विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र अलग-अलग होते हैं.
इसलिए, कोई भी मतदाता केवल उसी पोलिंग बूथ पर मतदान कर सकता है, जहां वह अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की मतदाता सूची में पंजीकृत है.
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अलग-अलग राज्यों के वोटर्स का आईडी नंबर एक जैसा क्यों?
The Election Commission has taken cognizance of certain social media posts and media reports flagging the issue of electors of two different states having identical EPIC numbers. In this regard, it is clarified that while EPIC numbers of some of the electors may be identical, the… pic.twitter.com/O7QuboR4hc
— ANI (@ANI) March 2, 2025
कैसे हुई यह गलती?
चुनाव आयोग के अनुसार, पहले वोटर आईडी जारी करने की प्रक्रिया विकेन्द्रीकृत और मैन्युअल थी. उस समय विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव आयोग कार्यालयों द्वारा समान EPIC अल्फान्यूमेरिक सीरीज का उपयोग किया गया. इसके कारण अलग-अलग राज्यों में रहने वाले कुछ मतदाताओं को एक जैसे EPIC नंबर जारी हो सकते थे. हालांकि, अब चुनाव आयोग इस समस्या को पूरी तरह से दूर करने के लिए कदम उठा रहा है.
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
आयोग ने कहा कि अब सभी पंजीकृत मतदाताओं को एक अद्वितीय (यूनिक) EPIC नंबर दिया जाएगा और किसी भी डुप्लिकेट EPIC नंबर को बदला जाएगा. इसके लिए ERONET 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट किया जाएगा, जिससे मतदाता सूची को अधिक सटीक और त्रुटिहीन बनाया जा सके.
इस फैसले के बाद अब देशभर के सभी मतदाताओं को अलग-अलग EPIC नंबर मिलेंगे और चुनावी प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाएगा.