कोलकाता: आगामी चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी हिंदू विरोधी छवि को सुधारने में जुट गई है. इसी क्रम में ममता ने सोमवार को बड़ा ऐलान करते हुए राज्यभर के सभी दुर्गा पूजा कमेटी को 10 हजार रुपए देने की घोषणा की.
नेताजी इंडोर स्टेडियम में कोलकाता पुलिस और दुर्गा पूजा आयोजकों की एक बैठक को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा, ''राज्य भर में 25000 जबकि अकेले कोलकाता में 3000 दुर्गा पूजा आयोजन समितियां हैं. राज्य सरकार समुदाय विकास कार्यक्रम के तहत हर पूजा समितियों को 10,000 रुपये देगी. इसमें कुल 28 करोड़ रुपये की राशि की जरूरी होगी." इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि रेड रोड पर वार्षिक दुर्गा पूजा कार्निवाल 23 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा.”
इससे पहले बीजेपी का अप्रत्यक्ष तौर पर हवाला देते हुए ममता बनर्जी ने कहा ‘एक खास राजनीतिक पार्टी द्वारा' सोशल मीडिया के जरिए आने वाले त्योहारी मौसम में सांप्रदायिक तनाव उकसाने को लेकर आगाह किया है. उन्होंने कहा, '' एक खास निश्चित पार्टी का आईटी सेल दुर्गा पूजा सहित अन्य त्योहारों के मौसम में सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाकर लोगों को उकसाने के प्रयास में है और दंगे जैसी स्थिति पैदा करना चाहता है.''
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पूजा आयोजकों और पश्चिम बंगाल में दशकों से साथ रहने वाले विभिन्न समुदाय के लोगों के साथ मिलकर ऐसी बांटने वाली ताकतों को हराएंगी.
ज्ञात हो कि बीजेपी सहित कई पार्टीया ममता पर हिंदु विरोधी होने का आरोप लगाती आ रही है. विपक्षी पार्टियों के मुताबिक ममता सरकार हिंदुओं के हर पर्व के साथ भेदभाव करती हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अगस्त महीने में कोलकाता में एक रैली के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चेतावनी दी थी कि दुर्गा पूजा या सरस्वती पूजा रोकी तो बीजेपी कार्यकर्ता ईंट से ईंट बजा देंगे.
शाह ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति के लिए हिंदू त्योहारों में रुकावट पैदा करना गलत है. उन्होंने ममता से कहा, “दीदी, आपने हिंदुओं को दुर्गा पूजा विसर्जन नहीं करने दिया. सरस्वती पूजा नहीं करने दी। अगर अगली बार ऐसा किया तो भाजपा कार्यकर्ता सचिवालय तक जुलूस निकालकर आपकी रणनीति का जवाब देंगे. ईंट से ईंट बजा देंगे.’
बता दें कि पिछले साल सितंबर महीने में कलकत्ता हाईकोर्ट के दखल के बाद ममता सरकार को मूर्ति विजर्सन की तय समय सीमा के फैसले को बदलना पड़ा था. राज्य सरकार ने दशमी के दिन 6 बजे तक ही विसर्जन की इजाजत दी थी, क्योंकि अगले दिन मुहर्रम था. लिहाज़ा, दुर्गा मां की प्रतिमा के विसर्जन पर रोक लगा दी गई थी और विसर्जन तारीख को भी बदलने का आदेश दिया था.