उत्तराखंड में कल बड़ा राजनीति दांव चलने वाले है केजरीवाल, AAP के विधानसभा चुनाव लड़ने से किसका बिगड़ेगा सियासी गणित?
सीएम अरविंद केजरीवाल (File Photo)

देहरादून: दिल्ली (Delhi) की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) आने वाले दिनों में उत्तराखंड की राजनीति में सक्रीय होने वाली है. आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कल बड़ा सियासी दांव चलने वाले है. अपने जन्मदिन के दिन केजरीवाल ने एक ट्वीट कर यह जानकारी दी है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने सैनिकों, शहीद सैनिकों की पत्नियों को सम्मानित किया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा “कल उत्तराखंड जा रहा हूँ. आम आदमी पार्टी कल एक बेहद महत्वपूर्ण घोषणा करने जा रही है. उत्तराखंड की प्रगति और विकास के लिए ये घोषणा एक मील का पत्थर साबित होगी.” बता दें कि पार्टी ने राज्य में अगले साल निर्धारित विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

उत्तराखंड में चुनाव के मद्देनजर आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने जुलाई महीने में देहरादून का दौरा किया था. तब केजरीवाल ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा था कि बिजली का उत्पादन करने वाले पर्वतीय राज्य के लोगों को राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों की तरह मुफ्त में बिजली क्यों नहीं मिल सकती.

केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा था कि उत्तराखंड बिजली का उत्पादन करता है और इसे अन्य राज्यों को बेचता भी है. फिर, उत्तराखंड के लोगों के लिए बिजली इतनी महंगी क्यों है? दिल्ली अपने बूते बिजली नहीं पैदा करती है और दूसरे राज्यों से खरीदती है, बावजूद इसके दिल्ली में बिजली मुफ्त है. उत्तराखंड के लोगों को मुफ्त में बिजली नहीं मिलनी चाहिए?

बीजेपी ने बनाया जीत के लिए मास्टर प्लान

बीजेपी की उत्तराखंड इकाई ने राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने का लक्ष्य तय करते हुए 60 से अधिक सीटें लाने का दावा किया है. अब तक हुई बैठकों में सत्ताधारी पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों में 2017 के मुकाबले बड़ी जीत हासिल करने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रही है. बीजेपी ने 2017 के चुनावों में विधानसभा की 70 सीटों में से 57 पर जीत हासिल की थी.

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी ने रोड मैप और आगामी कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया है. इसके तहत प्रदेश में केंद्र की अनेक योजनाओं को राज्य सरकार आगे बढ़ा रही है वहीं राज्य सरकार ने भी कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर ‘डबल इंजन’ का अहसास कराया है.

बीजेपी ने जुलाई में ही 70 विधानसभा क्षेत्रों और 252 मंडलों में सभी मंत्री, विधायक तथा संगठन के पदाधिकारियों को जमीन पर उतारा और मौके पर ही समस्याओं का समाधान किया. अब अक्टूबर में आम लोगों से मिलने के लिए जनसंपर्क अभियान शुरू किया जाएगा और नवंबर में पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ स्तर तक सम्मलेन आयोजित किए जाएंगे. जबकि नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली भी संभावित है और दिसंबर में प्रदेश भर में यात्राएं शुरू करे की योजना बीजेपी ने बनाई है.

कांग्रेस की भी तैयारियां जोरो पर

उधर, कांग्रेस भी पहाड़ी राज्य में खुद को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर गहन चर्चा कर रणनीति बना रही है. जुलाई महीने में ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से जुड़ी तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की थी. जिसमें राज्य से जुड़े पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे.

इसके बाद ही कांग्रेस ने अपनी राज्य इकाई में बड़ा बदलाव करते हुए जुलाई के आखिरी सप्ताह में गणेश गोदियाल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नया अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया. आर्येंद्र शर्मा को उत्तराखंड कांग्रेस का कोषाध्यक्ष बनाया. जबकि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे प्रीतम सिंह को विधायक दल का नेता बनाया, जो वर्तमान में राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभा रहे है. कांग्रेस ने उत्तराखंड के अपने संगठन में बड़ा बदलाव करते हुए क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को भी साधने का पूरा प्रयास किया है. रावत और प्रीतम सिंह दोनों राजपूत समुदाय से आते हैं तो गोदियाल ब्राह्मण समाज से आते हैं.