UP Election Survey: यूपी में फिर खिलेगा कमल! लेकिन कम होगी सीटें, अखिलेश की सपा लगाएगी बड़ी छलांग, कांग्रेस-BSP रेस से बाहर
बीजेपी के अलावा सभी दल यूपी की सत्ता से रहेंगे दूर (File Photo)

Uttar Pradesh Assembly Election 2022 ABP Cvoter Survey: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन 229 सीटें जीत सकता है. एबीपी-सीवोटर बैटल फॉर स्टेट्स में सामने आए निष्कर्षों से यह संभावना बनती दिख रही है. सर्वे के अनुसार, 10 फरवरी से 7 मार्च तक सात चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा 229 सीटों पर कब्जा कर सकती है. मतों की गिनती 10 मार्च को होगी. हालांकि यह संख्या 2017 के आंकड़ों की तुलना में 96 कम है, लेकिन सर्वेक्षण के अनुसार, 403 सीटों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में अभी भी भाजपा को एक सहज साधारण बहुमत मिल जाएगा. UP Election 2022: यूपी के चुनावी अखाड़े में बिहार की चार पार्टियां, 3 है NDA का हिस्सा, लेकिन अभी सस्पेंस बरकरार!

समाजवादी पार्टी (सपा) के नेतृत्व वाले गठबंधन को 151 सीटें मिलने का अनुमान है और पार्टी 2017 के परिणामों की तुलना में 103 सीटों की बड़ी छलांग लगाती दिख रही है. लेकिन वह अभी भी बहुमत से कोसों दूर दिखाई दे रही है. सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों से आने वाले 61,802 लोग शामिल हुए.

नवीनतम ऑपिनियन पोल के अनुसार, अखिलेश यादव के नेतृत्व वाला समाजवादी पार्टी गठबंधन 2017 के चुनावों में वास्तविक 23.6 प्रतिशत वोट शेयर से अनुमानित 33.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ उल्लेखनीय सुधार कर सकता है. हालांकि पार्टी 35 प्रतिशत के आंकड़े को पार करती नहीं दिखाई दे रही है, जो कि भाजपा को नीचे लाने के लिए महत्वपूर्ण है.

भाजपा ने 41.5 प्रतिशत के अनुमानित वोट शेयर के साथ, नवीनतम अनुमानों में भी 2017 के विधानसभा चुनावों में अपने 41 प्रतिशत वोट शेयर को बरकरार रखा है. सर्वे के नतीजों पर गौर करें तो बीजेपी के लिए मुसीबत इसलिए कम दिखाई दे रही है, क्योंकि उसने अपना वोट शेयर 40 फीसदी से नीचे नहीं जाने दिया है.

यह देखना होगा कि कितने काम पर खरा नहीं उतरने वाले विधायकों को टिकट से वंचित किया जाता है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में मौजूदा विधायकों के खिलाफ अधिकतम सत्ता विरोधी लहर काम कर रही है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान को जोड़ दें तो कुल मिलाकर बीजेपी इस समय रिकवरी की राह पर है.

मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 43 प्रतिशत लोग मुख्यमंत्री के रूप में पसंद करते हैं, जबकि अखिलेश यादव को 34 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती 14 प्रतिशत के साथ काफी पीछे हैं, जबकि तीन प्रतिशत लोग प्रियंका गांधी के नाम को सुझा रहे हैं.

मायावती और बसपा का इस दौड़ में बड़े दावेदार के तौर पर न होना उनके समर्थकों के लिए चौंकाने वाला है. बसपा का वोट शेयर 2017 में 22.2 प्रतिशत से गिरकर 2022 के चुनावों में अनुमानित 12.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. अगर ये अनुमान काफी हद तक खरे उतरते हैं तो उत्तर प्रदेश में बसपा एक बड़ी गिरावट की ओर अग्रसर पार्टी कही जा सकती है. UP Election: सपा नेता की हत्या के आरोप में पूर्व सांसद रिजवान जहीर, उनकी बेटी और दामाद अरेस्ट, एक ही विधानसभा क्षेत्र से दोनों पक्ष मांग रहे थे टिकट

सर्वे के नतीजों को देखा जाए तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच की रेस बन गया है. हालांकि पहले के नतीजों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश एक करीबी मुकाबले की ओर अग्रसर होता दिख रहा था. एक समय था जब दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर केवल 6 फीसदी तक गिर गया था, लेकिन लगता है कि अखिलेश के पक्ष में माहौल उस स्तर तक बनने में सफल नहीं हो पाया.

इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि विश्लेषक और राजनीतिक पंडित भाजपा के लिए खासकर पश्चिमी यूपी में किसानों के आंदोलन के प्रभाव के बारे में बात कर रहे थे. जमीनी स्तर से ऐसी खबरें थीं कि जाट और मुसलमान 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों की यादों को दफन कर सकते हैं और सपा-रालोद गठबंधन को वोट दे सकते हैं. पोल ट्रैकर से पता चलता है कि इस क्षेत्र में बीजेपी का अनुमानित वोट शेयर 41.2 फीसदी है, जो एसपी-आरएलडी गठबंधन के लिए अनुमानित 33 फीसदी से बहुत आगे है.

यहां तक कि पूर्वांचल में, जहां भाजपा पहले से कुछ कमजोर दिख रही थी और लग रहा था कि सपा गठबंधन ने काफी पैठ बना ली है, शायद बीजेपी को उखाड़ फेंकने के लिए काफी नहीं है.

ताजा अनुमानों के मुताबिक बीजेपी को 40 फीसदी वोट मिल सकते हैं, जबकि सपा गठबंधन को 35 फीसदी से थोड़ा ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है. अवध क्षेत्र में बीजेपी सपा गठबंधन से 10 फीसदी से ज्यादा आगे है.

कल्याणकारी योजनाओं के असंख्य वादों के साथ-साथ लड़की हूं, लड़ सकती हूं, जैसे अपने तेजतर्रार प्रयासों और कल्पनाशील नारों के बावजूद, प्रियंका गांधी राज्य में कांग्रेस के अंतिम पतन को रोकने में सक्षम नहीं लग रही हैं. कांग्रेस का वोट शेयर मामूली बढ़ने का अनुमान है, जबकि सीटों की संख्या 2017 में मिली 7 से घटकर इस बार 5 हो सकती है.