Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में सियासी खींचतान के बीच दिखी एकता, एक मंच पर साथ आए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार; क्या ढहने से बच जाएगा कांग्रेस का किला?

Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान के बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार एक सरकारी कार्यक्रम में एक साथ नजर आए. आंगनवाड़ी कार्यक्रम के 50 साल पूरे होने पर आयोजित समारोह में दोनों नेताओं की मौजूदगी ने सियासी हलचल के बीच एकता का संदेश दिया. बेंगलुरु के पैलेस ग्राउंड में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कई नई योजनाएं शुरू की गईं और 'गृहलक्ष्मी सहयोग ऐप' लॉन्च किया गया.

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर कार्यक्रम की झलकियां साझा करते हुए डीके शिवकुमार सहित मंत्रियों और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति का जिक्र किया.

ये भी पढें: पश्चिम बंगाल में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड स्कीम से 1 लाख विद्यार्थियों को हुआ लाभ: सीएम ममता बनर्जी

शिवकुमार का बदला सुर

पिछले कुछ दिनों से डीके शिवकुमार लगातार यह संकेत दे रहे थे कि सरकार में किए गए वादों को लेकर उनकी बात नहीं सुनी जा रही है. लेकिन इस कार्यक्रम में उनका रुख काफी नरम दिखाई दिया. उन्होंने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि कर्नाटक की गारंटी योजनाएं दोनों नेताओं की साझा सोच का नतीजा हैं. उन्होंने कहा कि युवा और महिलाओं के भरोसे पर तैयार की गई 5 गारंटी योजनाओं का रोडमैप दोनों नेताओं ने मिलकर बनाया था.

सोनिया गांधी का उदाहरण देने की कोशिश

शिवकुमार ने अपने संबोधन में सोनिया गांधी के त्याग का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर मनमोहन सिंह जैसे अर्थशास्त्री को आगे किया. उन्होंने इसे कांग्रेस की सामाजिक सोच और संवेदनशीलता से जोड़ते हुए आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के लिए चल रही योजनाओं का हवाला दिया. उनके यह बयान ऐसे समय आए जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बिल्कुल उनके पास बैठे थे और राज्य में नेतृत्व को लेकर चर्चा तेज है.

सिद्धारमैया सरकार को दिया खुला समर्थन

अपने भाषण के अंत में शिवकुमार ने मंच से खुलकर सिद्धारमैया सरकार का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि जनता का आशीर्वाद कांग्रेस सरकार पर बना रहना चाहिए और सरकार हर संभव प्रयास करेगी कि लोगों के जीवन में सुधार आए. यह बयान खास इसलिए माना गया क्योंकि एक दिन पहले तक उनके अलग बयान राजनीतिक संदेश दे रहे थे.

नेतृत्व विवाद पर हाईकमान की सख्ती

इस बीच मंत्री ईश्वर खंड्रे ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने सभी नेताओं को नेतृत्व को लेकर सार्वजनिक बयान देने से रोका है. उन्होंने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है और आगे भी ऐसा ही जारी रहेगा.