भोपाल: लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के लिये सभी राजनीतिक दल और नेता प्रचार में पूरे दमखम के साथ लगे है. इस चरण में मध्य प्रदेश की आठ सीटों पर चुनाव होंगे. इनमें देवास, उज्जैन, मंदसौर, रतलाम, इंदौर, धार, खरगौन एवं खंडवा शामिल हैं. मध्य प्रदेश में क्षिप्रा नदी के किनारे बसा उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र राजनीति के लिहाज से बहुत अहम माना जाता है. इस सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. इस लोकसभा सीट पर बीजेपी की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस है.
उज्जैन लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. बीजेपी और कांग्रेस ने जातीय गणित को समझते हुए उज्जैन लोकसभा सीट से क्रमशः अनिल फिरोजिया और बाबूलाल मालवीय को चुनावी रण में उतारा है. आपको बता दें कि बीजेपी ने उज्जैन से मौजूदा सांसद चिंतामणि मालवीय का टिकट काटकर तराना से पूर्व विधायक अनिल फिरोजिया को मैदान में उतारा है. उज्जैन में 26 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति, 2.3 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति की है.
उज्जैन का 2014 में हाल-
चिंतामणि मालवीय (बीजेपी)- 6 लाख 41 हजार 101 वोट
प्रेमचंद गुड्डू (कांग्रेस)- 3 लाख 31 हजार 438 वोट
साल 1952 में अस्तित्व में आए उज्जैन संसदीय सीट पर सबसे पहला चुनाव 1957 में हुआ था. तब से लगातार दो बार यह सीट कांग्रेस की झोली में आई. हालांकि बाद में उज्जैन बीजेपी का मजबूत किला बन गया. इस सीट के इतिहास की बात करें तो सबसे ज्यादा बीजेपी आठ बार, कांग्रेस चार बार जीती है.
गौरतलब हो कि मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए इस बार जीत की राह साल 2014 जितनी आसान नहीं है. लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी के लिए मध्य प्रदेश में अपनी सभी 27 सीटों को बचाना बड़ी चुनौती साबित होगी. सूबे कि कुल 29 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों-गुना एवं छिन्दवाड़ा पर साल 2014 में जीत मिली थी.