कावड़ यात्रा मार्ग पर स्थित खाने-पीने की दुकानों पर नामपट्टियां लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया निर्देश पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. सभी दलों की बैठक के बाद बोलते हुए, ओवैसी ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह असंवैधानिक है और राज्य सरकार "अस्पृश्यता को बढ़ावा दे रही है" और "मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव कर रही है".
ओवैसी ने कहा, "हमने कहा कि अगर कोई सरकार संविधान के खिलाफ आदेश पारित करती है, तो भारत सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. ऐसा आदेश जारी करना अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है. वे अस्पृश्यता को बढ़ावा दे रहे हैं. यह जीवन के अधिकार के खिलाफ है, आप आजीविका के खिलाफ हैं."
ओवैसी ने इस निर्देश का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इसका सांप्रदायिक सद्भाव और संवैधानिक अधिकारों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा, "कल कोई मुसलमान कहेगा कि वह रमजान में 30 दिन रोजा रखता है और 15 घंटे पानी नहीं पीता. क्या आप किसी को पानी नहीं देंगे? यह नफरत का संकेत है. मुसलमानों के खिलाफ खुला भेदभाव है."
#WATCH | On 'nameplates' on food shops on the Kanwar route in UP, AIMIM MP Asaduddin Owaisi after an all-party meeting says "We said that if any government passes an order against the Constitution, then the GoI should take note of it. Issuing such an order is a violation of… pic.twitter.com/7M4bG8oZR9
— ANI (@ANI) July 21, 2024
कावड़ यात्रा मार्ग पर स्थित ढाबों, फल की दुकानों और चाय की दुकानों को अपने मालिकों के विवरण वाली नामपट्टियां प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है. राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की है कि हलाल प्रमाणन वाले उत्पादों को बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
इस कदम ने काफी विवाद खड़ा कर दिया है, विपक्षी दलों और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार पर भेदभाव को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. इस निर्देश ने न केवल उत्तर प्रदेश में विवाद पैदा किया है बल्कि पड़ोसी राज्यों को भी प्रभावित किया है.
उत्तराखंड पुलिस ने कावड़ यात्रा के रास्तों पर स्थित खाने-पीने के प्रतिष्ठानों के लिए निर्देशों का एक सेट जारी किया है. हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमोद सिंह डोबाल के अनुसार, इन व्यवसायों को अब अपने मालिकों के बारे में विशिष्ट जानकारी प्रमुखता से प्रदर्शित करने की आवश्यकता है.
उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी ने इस निर्देश का बचाव करते हुए कहा है कि यह पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक उपाय है. हालांकि, विपक्षी दलों का तर्क है कि यह मुस्लिम स्वामित्व वाले व्यवसायों के खिलाफ भेदभाव का एक छिपा हुआ प्रयास है.