रविवार को DMK प्रमुख म.के. स्टालिन (Stalin) ने एक सार्वजनिक सभा में बड़ा सियासी दाव खेला. स्टालिन ने मंच से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अगले प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया. स्टालिन ने कहा, "मैं प्रस्तावित करता हूं, हम दिल्ली में एक नया प्रधानमंत्री बैठाएंगे. मैं तमिलनाडु से राहुल गांधी की उम्मीदवारी का प्रस्ताव करता हूं." स्टालिन ने कहा कि राहुल गांधी के पास फासिस्ट नरेंद्र मोदी को हराने की क्षमता है. उन्होंने घोषणा की, "हम राहुल गांधी के हाथ को मजबूत करेंगे."
वैसे स्टालिन का यह बयान विपक्ष के कई नेताओं को पसंद नहीं आया. विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘‘विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में किसी का नाम घोषित किये जाने के खिलाफ हैं. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी स्टालिन की घोषणा से सहमत नहीं है. मगर बीजेपी इस घोषणा से काफी खुश होगी.
ऐसे होगा बीजेपी को फायदा:
बीजेपी लगभग हर चुनाव को मोदी बनाम राहुल गांधी बनाना चाहती है. इसका फायदा भी बीजेपी को मिलता हैं. राहुल गांधी की लोकप्रियता जरूर बढ़ी हैं मगर वे अब भी मोदी के विकल्प के तौर पर उभरे नहीं हैं. हालांकि, उनके पास और 6 महीने हैं और वो लोगों के दिलों में जगह बना सकते हैं मगर इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी.
आज भी देश का बड़ा तबका ऐसा हैं जो प्रधानमंत्री के काम से संतुष्ट हैं. कांग्रेस ने भले ही हिंदी बेल्ट के 3 महत्वपूर्ण राज्यों में जीत हासिल की हो मगर वहां उन्हें सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिला है. जब मुकाबला मोदी बनाम राहुल गांधी होगा तो स्थिति और होगी.
राहुल गांधी पीएम मोदी की तरह वक्ता नहीं हैं और वह खुद इस बात को मान चुके हैं. पीएम मोदी जब सभा में बोलने खड़े होते हैं तो लोग उन्हें ध्यान से सुनते हैं. राहुल के साथ ऐसा नहीं हैं.
पीएम मोदी के रायबरेली यात्रा का मतलब:
पीएम मोदी के रायबरेली जाने का सबसे बड़ा मकसद था कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता को उनके घर में ही चुनौती देना. पीएम मोदी ने ये मैसेज दिया है कि 2019 में उनकी लड़ाई कांग्रेस से है और वह कांग्रेस के बड़े नेताओं को आसानी से जीतने नहीं देंगे. उन्होंने साथ ही ये सन्देश भी दिया कि क्षेत्रीय दलों का साथ भी ले सकते हैं.