Maharashtra Political Crisis: क्यों बागी हुए अजित पवार? ये है NDA में शामिल होने की वजह
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ घंटे बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी ने देश के विकास के लिए एकनाथ शिंदे नीत सरकार का हिस्सा बनने का फैसला किया. अजित पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की भी सराहना की.

उन्होंने राकांपा में किसी भी तरह के विभाजन से इनकार करते हुए कहा कि वह भविष्य के सभी चुनाव राकांपा के चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे. अजित पवार ने कहा कि (पार्टी के) सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों ने शिंदे सरकार में शामिल होने के फैसले का समर्थन किया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सत्ता साझा करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम शिवसेना के साथ जा सकते हैं, तो हम भाजपा के साथ भी जा सकते हैं. नगालैंड में भी यही हुआ.’’ NCP के सिंबल पर अजित का कब्जा, शरद पवार ने बताई आगे क्या होगी उनकी रणनीति

वर्ष 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना (अविभाजित) ने महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाया था. बाद में शिंदे की बगावत के चलते पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे नीत एमवीए सरकार गिर गई थी. अजित पवार ने कहा, ‘‘सभी (राकांपा) विधायक हमारे साथ हैं और उन्होंने शीर्ष नेतृत्व को भी सूचित कर दिया है. लोकतंत्र में बहुमत की राय का सम्मान किया जाना चाहिए.’’

शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के कदम पर राकांपा प्रमुख शरद पवार की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नये नेतृत्व को आगे आना चाहिए. अजित पवार ने कहा, ‘‘पार्टी के सभी विधायक, सांसद और कार्यकर्ता हमारे साथ हैं. हमने सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपने निर्णय से अवगत करा दिया है. उनमें से कुछ राज्य से बाहर हैं, जबकि कुछ विदेश गए हुए हैं. इनमें से ज्यादातर आज शाम तक मुंबई पहुंच जाएंगे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘समग्र और व्यापक विकास को ध्यान में रखते हुए फैसला किया गया है. हमारे पास प्रशासन का व्यापक अनुभव है, हम बेहतर काम करने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.’’अजित पवार ने कहा, ‘‘मंत्रियों के विभागों की घोषणा कुछ दिनों में की जाएगी और हम तुरंत इस पर काम करना शुरू करेंगे.’’

प्रधानमंत्री मोदी को लेकर उन्होंने कहा कि 1984 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी नेता को इतनी लोकप्रियता मिली है और उसके नेतृत्व को व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया है. अजित पवार ने आरोप लगाया, ‘‘मुझे एक विपक्षी दल दिखाइए, जो देश के बारे में सोच रहा हो और उसके अनुसार काम कर रहा हो. अधिकांश विपक्षी नेता केवल अपने-अपने राज्यों के बारे में सोच रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें लगता है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव समेत सभी आगामी चुनाव भाजपा के साथ मिलकर मोदी के नेतृत्व में लड़ने चाहिए. इससे महाराष्ट्र के साथ-साथ देश को भी फायदा होगा.’’ वहीं, मंत्री पद की शपथ लेने वाले राकांपा नेता छगन भुजबल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने महसूस किया कि लोगों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए हमें कुछ सकारात्मक कदम उठाने की जरूरत है. इसलिए हमने यह फैसला लिया है.’’

महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता भुजबल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए काफी प्रयास किए हैं. सत्ता में रहकर ओबीसी समुदाय के कई मुद्दों का समाधान किया जा सकता है.’’ भुजबल ने दावा किया, ‘‘एक हालिया बैठक में शरद पवार ने हमसे कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी 2024 का आम चुनाव जीतेंगे. हमें सभी विपक्षी दल एक साथ आते नहीं दिख रहे. हमने लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए सरकार में शामिल होने का फैसला किया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कहेंगे कि हममें से कुछ के खिलाफ चल रही जांच के कारण हमने सरकार में शामिल होने का फैसला किया है.’’ भुजबल ने कहा, ‘‘अजित पवार के खिलाफ दर्ज सभी मामले बंद हो चुके हैं. मेरे खिलाफ एक बड़ा मामला लगभग समाप्त होने को है.’’ उन्होंने दावा किया कि हसन मुश्रीफ (जिन्होंने रविवार को शपथ ली) के खिलाफ जारी मामलों में भी अदालत ने कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है.

भुजबल ने दावा किया कि अदालत नयी तारीखें दे रही है, क्योंकि हसन के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है. शिंदे नीत शिवसेना से जुड़े उद्योग मंत्री उदय सामंत ने तत्कालीन उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान विधायकों को विकास कार्यों के लिए बराबर कोष वितरित नहीं किए जाने का दावा करते हुए कहा, ‘‘अब कोष वितरण और चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं होगी.’’ गौरतलब है कि अजित पवार ने रविवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की, जबकि राकांपा के आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली.

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