राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar) ने कहा कि अयोध्या में चार-पांच सौ साल पुराना फसाद अब निपटने में कुछ ही दिन और घंटे बाकी हैं. जो भी फैसला आएगा, वह किसी की न तो जीत होगी और न ही किसी की हार होगी, इसे मजहब से भी जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. देश में हिंदू-मुस्लिम सहित हर जाति-धर्म के लोग पहले खुद को भारतीय मानते हैं, हर कोई देश में शांति चाहता है.
संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कहा, "जब 8.40 करोड़ महिलाओं को जुल्म से और 8.62 करोड़ पुरुषों को जहन्नुम से बचाने वाला तीन तलाक कानून आया था तो यह मुस्लिमों के अंदर का फैसला था, तब भी कुछ लोगों ने इसे हिंदू-मुस्लिम बनाने की कोशिश की थी, मगर बिना किसी दंगे के यह फैसला निकल गया."
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उन्होंने कहा, "इसी तरह जब अयोध्या केस में हाईकोर्ट ने जमीन को बांटा था, तब भी भावनाएं भड़काने की कोशिश हुईं थीं. मगर जनता भय, भ्रम में आकर भड़की नहीं, जिससे सौहार्दपूर्ण तरीके से मामला कानूनी प्रक्रिया में चला गया. ऐसे कई फैसले इस बात का सुबूत हैं कि देश की जनता अमन, भाईचारा और तरक्की चाहती है." उन्होंने कहा कि कुछ लोग भय, भ्रम फैलाकर लोगों को भड़काना चाहते हैं, मगर लोग उनके चक्रव्यूह में नहीं फंसने वाले.
इंद्रेश कुमार ने कहा कि मुसलमान भी चाहते हैं कि उनके साथ संवाद हो. सच तो यह है कि पिछले एक हजार वर्षो से मुसलमानों के साथ संवाद नहीं हुआ और अगर हुआ भी तो वह सफल नहीं हुआ. मगर पिछले 20 वर्षो से शुरू हुआ संवाद अब परिपक्वता की ओर बढ़ रहा है.
यहां बता दें कि इंद्रेश कुमार के मार्गदर्शन में वर्ष 2002 से चलने वाली मुस्लिम राष्ट्रीय मंच नामक संस्था मुस्लिमों को संघ के करीब लाने की दिशा में काम कर रही है. अयोध्या केस में संभावित फैसले के मद्देनजर सौहार्द कायम करने के लिए यह संस्था जगह-जगह शांति कमेटी की बैठकें कर रही है. इंद्रेश कुमार ने आईएएनएस से कहा, "अयोध्या पर जो भी फैसला आएगा, वह किसी की जीत-हार नहीं होगा. यह मजहब का भी नहीं होगा, आने वाला फैसला, कड़वाहट से निकलने का सुंदर रास्ता होगा. फैसले को लेकर अब कुछ दिन और घंटे की प्रतीक्षा है."