कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अपनी कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक आयोजित की. यह बैठक महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद हुई, जिससे पार्टी के भीतर गहरे चिंतन और आत्ममंथन का दौर शुरू हो गया. बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के भविष्य को लेकर कई अहम बातें कहीं, जिसमें सबसे प्रमुख था चुनावी परिणामों को लेकर जवाबदेही तय करना और कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता. उन्होंने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर भी गंभीर सवाल उठाए और चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बताया. खड़गे का कहना था कि चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है, और कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर जल्द ही देशव्यापी आंदोलन शुरू करेगी.
ईवीएम पर उठाए गए सवाल
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की कार्य समिति की बैठक में कहा कि चुनावी प्रक्रिया में ईवीएम की भूमिका संदिग्ध हो गई है, और यह चुनावी प्रक्रिया को एक "गंभीर समझौते" की ओर ले जा रही है. उनका कहना था कि निर्वाचन आयोग का संवैधानिक दायित्व है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करे, लेकिन ईवीएम की वजह से पूरे चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं. खड़गे ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को केवल पार्टी स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि वह "इंडिया" गठबंधन के घटक दलों को भी इस आंदोलन में शामिल करेगी.
महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में कांग्रेस की हार
बैठक में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर चर्चा की. कांग्रेस ने इन चुनावों में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया है. महाराष्ट्र में कांग्रेस ने केवल 16 सीटें जीतीं, जो पार्टी के लिए सबसे खराब परिणाम था. पार्टी के सहयोगी शरद पवार की एनसीपी (नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने क्रमशः 10 और 20 सीटें जीतीं. कार्य समिति ने इन परिणामों को "सामान्य समझ से परे" और "लक्षित हेरफेर" का परिणाम बताया. कांग्रेस ने कहा कि चुनावी गड़बड़ियां हुई हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया गया है और इससे पार्टी का प्रदर्शन प्रभावित हुआ है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने बैठक में कहा कि हार के बाद अब पार्टी को सख्त निर्णय लेने होंगे. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पार्टी के नेताओं को चुनाव परिणामों से सबक लेना होगा और अपनी रणनीतियों में बदलाव लाना होगा. खड़गे ने यह भी कहा कि कांग्रेस के राज्य नेताओं को राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं पर निर्भर रहने की आदत छोड़नी होगी. उन्हें अपनी रणनीतियों को स्थानीय स्तर पर मजबूती से लागू करना होगा.
राहुल गांधी का सख्त रुख
राहुल गांधी ने भी खड़गे से सख्ती से कदम उठाने की अपील की. जब बैठक में चुनावी परिणामों को लेकर जवाबदेही तय करने की बात की जा रही थी, तो राहुल गांधी ने सीधे तौर पर खड़गे से कहा, "खरगे जी, एक्शन लीजिए." राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी को अब केवल बयानबाजी से काम नहीं चल सकता, बल्कि ठोस कदम उठाने होंगे. राहुल का यह बयान कांग्रेस के भीतर नेतृत्व के स्तर पर होने वाले संभावित बदलावों और सुधारों का संकेत है.
पार्टी के भीतर आपसी कलह और अनुशासन की कमी
बैठक के दौरान खड़गे ने कांग्रेस के भीतर के आपसी मतभेदों और बयानबाजी पर भी कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि जब तक पार्टी में एकजुटता नहीं होगी, तब तक कांग्रेस अपने विरोधियों को प्रभावी तरीके से नहीं हरा पाएगी. खड़गे ने आरोप लगाया कि आपसी कलह और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी ने पार्टी को चुनावी नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा, "जब तक हम एक होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तब तक अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे?"
उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं को अनुशासन के तहत रखने के लिए एक रणनीति विकसित करनी होगी. खड़गे ने यह भी कहा कि पार्टी को अपने प्रतिद्वंद्वियों के "प्रचार और गलत सूचना" का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने की आवश्यकता है.
चुनावी प्रक्रिया पर चिंताएं और आंदोलन की तैयारी
कांग्रेस पार्टी ने बैठक में यह फैसला लिया कि वह चुनावी प्रक्रिया में हो रहे "गंभीर समझौते" के खिलाफ एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू करेगी. इस आंदोलन में पार्टी "इंडिया" गठबंधन के घटक दलों को भी शामिल करेगी. पार्टी महासचिव जयराम रमेश और पवन खेड़ा ने कहा कि इस मुद्दे पर रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे, ताकि लोगों को चुनावी प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ियों के बारे में जागरूक किया जा सके.
सीडब्ल्यूसी के निर्णय और अगला कदम
सीडब्ल्यूसी ने यह भी फैसला लिया कि पार्टी को अपने संगठनात्मक सुधार के लिए आंतरिक समितियां बनानी चाहिए, जो चुनावी परिणामों और संगठनात्मक मामलों पर विचार करें. महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारणों की गहन समीक्षा की जाएगी. पार्टी महासचिव सी वेणुगोपाल ने कहा कि महाराष्ट्र के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के बाद राज्य में हुई हार का आकलन किया जाएगा.
कांग्रेस पार्टी के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है. बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी को अपनी रणनीतियों में सुधार करना होगा, अनुशासन और एकता बनाए रखनी होगी, और आगामी चुनावों के लिए तैयार रहना होगा. वहीं, ईवीएम पर उठाए गए सवाल और चुनावी गड़बड़ियों के खिलाफ आंदोलन की घोषणा से पार्टी अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने की योजना बना रही है. कांग्रेस के नेताओं को अब यह समझना होगा कि केवल बयानबाजी से काम नहीं चलेगा, बल्कि ठोस कदम उठाने होंगे और पार्टी को जनता के बीच विश्वास वापस दिलाना होगा.