Indira Gandhi Birth Anniversary: पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की जयंती पर राहुल गांधी ने दी श्रद्धांजलि, कहा- दादी की सिखाई बातें प्रेरित करती हैं
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "एक कार्यकुशल प्रधानमंत्री और शक्ति स्वरूप श्रीमती इंदिरा गांधी जी की जयंती पर श्रद्धांजलि. पूरा देश उनके प्रभावशाली नेतृत्व की आज भी मिसाल देता है."
नई दिल्ली: देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की आज जयंती है. इस मौके पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) दिल्ली में शक्ति स्थल (Shakti Sthal) पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. पाकिस्तान के दो टुकड़े करने वाली इंदिरा को आयरन लेडी के नाम से जाना जाता है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "एक कार्यकुशल प्रधानमंत्री और शक्ति स्वरूप श्रीमती इंदिरा गांधी जी की जयंती पर श्रद्धांजलि. पूरा देश उनके प्रभावशाली नेतृत्व की आज भी मिसाल देता है लेकिन मैं उन्हें हमेशा अपनी प्यारी दादी के रूप में याद करता हूं. उनकी सिखायी हुई बातें मुझे निरंतर प्रेरित करती हैं."
देश और दुनिया की राजनीति में प्रभावशाली महिला नेता रहीं देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है. इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी एक ऐसा नाम है, जिन्हें उनके निर्भीक फैसलों और दृढ़निश्चय के चलते 'आयरन लेडी' कहा जाता है. क्या ओवर कॉन्फिडेंस के चलते इंदिरा गांधी बनीं असमय मौत का शिकार? जानें कैसे रची गई उनकी मौत की साजिश!
राहुल गांधी ने शक्ति स्थल जाकर दी श्रद्धांजलि:
राहुल गांधी का ट्वीट:
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपनी मृत्यु के कुछ दिन पहले ही एक सभा में कहा था, "आज यहां हूं.. कल शायद यहां न रहूं. मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं.. देश की चिंता करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. मेरा लंबा जीवन रहा है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है. मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करने में लगेगा."
लौह महिला कहलाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने का राजनीतिक सफर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा. 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली. भारत (India) की प्रधानमंत्री-24 जनवरी, 1966 को प्रथम बार, 13 मार्च, 1967 को दूसरी बार और 18 मार्च, 1971 को तीसरी बार शपथ ग्रहण लिया. उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई.