नयी दिल्ली: कांग्रेस ने राफेल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मोदी ने अधिकारियों, रक्षा मंत्री एवं रक्षा खरीद परिषद की राय के खिलाफ जाकर लड़ाकू विमानों के ''बेंचमार्क प्राइज़'' (आधार मूल्य) को बढ़ा दिया. पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने राफेल से जुड़ी बैंक गारंटी को माफ करवा दिया और मध्यस्थता के प्रावधान को बदल दिया जो देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने राफेल मामले की संयुक्त संसदीय समिति की जांच की मांग दोहराते हुए यह सवाल किया कि आखिर प्रधानमंत्री ने किसे फायदा पहुंचाने का काम किया?
कांग्रेस के ताजा आरोपों पर सरकार या भाजपा की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, ''देश के कानून मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों की लिखित राय के बावजूद चौकीदार ने चोर दरवाजे से सौदा बदल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने विमान के बेंचमार्क प्राइज़ को बढ़ाकर 62 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर दिया, जबकि कांग्रेस के समय कीमत काफी कम थी.''
उन्होंने कहा, ''राफेल विमान की खरीद के लिए बातचीत करने वाली समिति में इसको लेकर खासा विवाद हो गया कि बेंचमार्क प्राइज़ क्या होगा. तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बढ़ी हुई कीमत मानने से इनकार कर दिया.'' सुरजेवाला ने दावा किया, ''रक्षा खरीद परिषद ने भी बढ़ी हुई कीमत स्वीकार नहीं की और कागज प्रधानमंत्री के पास भेज दिया. इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री ने बढ़ी हुई कीमत को स्वीकार कर लिया.''
उन्होंने कहा, '' हमारा सवाल है कि प्रधानमंत्री... आप किसको फायदा पहुंचा रहे थे?'' कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया, ''प्रधानमंत्री ने बैंक गारंटी को माफ कर दिया जो देश की सुरक्षा से खिलवाड़ है. जबकि कानून मंत्रालय ने राय दी थी कि बैंक गारंटी फ्रांस की सरकार से ली जाए."
उन्होंने कहा, ''सात मार्च 2016 को तत्कालीन रक्षा मंत्री ने कानून मंत्रालय की राय से अलग राय रखने से इनकार कर दिया। एयर अक्वेजिशन विंग ने साफ कहा कि बैंक गारंटी के बगैर सौदा नहीं हो सकता। लेकिन मोदी जी कहते हैं कि बैंक गारंटी की कोई जरूरत नहीं है. उन्होंने कानून मंत्रालय, एयर अक्वेजिशन विंग और अपने रक्षा मंत्री की राय को खारिज कर दिया.'' उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हित से समझौता क्यों किया?
सुरजेवाला ने आरोप लगाया, ''प्रधानमंत्री मोदी ने मध्यस्थता वाले प्रावधान को फ्रांस की सरकार की बजाय दसाल्ट और भारत सरकार के बीच कर दिया. मध्यस्थता की जगह को भी भारत की बजाय स्विट्जरलैंड कर दिया." उन्होंने यह भी दावा किया कि लड़ाकू विमान सौदे के बारे में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बात कर रहे थे. सुरजेवाला ने सवाल किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क्यों बात कर रहे थे? उन्हें किसने अधिकृत किया था जबकि वह बातचीत वाली समिति का हिस्सा नहीं थे?